Bihar Assembly Election 2020: बिहार चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बाद तीसरे चरण पर नजरें टिकी हैं. दूसरे चरण में लालू यादव के दोनों लाल तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव चुनावी समर में हैं. तेजस्वी यादव महागठबंधन के सीएम फेस हैं तो दूसरी तरफ तेज प्रताप यादव भी मीडिया की सुर्खियां बटोरते रहते हैं. राघोपुर से तेजस्वी यादव चुनाव जीतने की उम्मीद में हैं. उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने महुआ की सीटिंग सीट छोड़कर हसनपुर का रूख किया है. बड़ी बात यह है कि तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव से पहले लालू फैमिली के साधु और सुभाष यादव का जलवा भी दिखा था.
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बिहार की राजनीति में 90 का दशक काफी मायने रखता है. सीएम बनने के बाद लालू यादव ने चरवाहा विद्यालय की स्थापना की, ताड़ी से टैक्स हटा दिया. लालू सियासी समीकरण साधने के चक्कर में अजीबो-गरीब फैसले लेते रहे. उन्हीं के शासन में बिहार की राजनीति में साधु और सुभाष यादव की एंट्री होती है. दोनों लालू के साले हैं. लालू यादव के करीबियों में साधु और सुभाष यादव का नाम भी शुमार होता था. दोनों का ठिकाना सीएम हाउस में था. भांजी रोहिणी की शादी में साधु यादव के लोगों ने पटना के बोरिंग रोड स्थित शोरूम से नई गाड़ियां जबरन उठा ली. माना जाता है दोनों को खुली छूट मिली हुई थी.
1997 का साल बिहार की राजनीति के लिए टर्निंग प्वाइंट हुआ. लालू यादव ने जनता दल को छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल का ऐलान किया. भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी तय देखकर लालू यादव ने पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बना दिया. बहन सीएम बनी और साधु-सुभाष यादव का दबदबा बढ़ना शुरू हुआ. राजनीति हो या मीडिया की सुर्खियां, दोनों भाई छाए रहे. 2010 के बाद दोनों भाईयों की लालू फैमिली से दूरी बढ़ती चली गई. बिहार में एनडीए की सरकार बनी. लालू यादव रांची की जेल में पहुंच गए और तेजस्वी ने राजद की कमान संभाल ली. साधु-सुभाष ने अपनी दुनिया खुद बनाने का फैसला किया.
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बिहार के गोपालगंज से लालू यादव और राबड़ी देवी का करीबी कनेक्शन रहा है. यह जिला लालू यादव और राबड़ी देवी का होम डिस्ट्रिक्ट है. यहां से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं लालू के साले साधु यादव. उन पर बसपा ने भरोसा जताया है. बसपा ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट में रालोसपा, AIMIM के साथ मैदान में है. गोपालगंज सदर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी सुभाष सिंह का 15 सालों से दबदबा है. इस बार साधु यादव उन्हें टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस ने आसिफ गफूर को टिकट दिया है. कुछ दिनों पहले तेजस्वी यादव ने मामा का नाम लिए बिना कहा था ‘दातुन तोड़ने के चक्कर में पेड़ को नहीं काटा जाता है.’
Posted : Abhishek.