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Bihar Election 2020: बिहार चुनाव में NOTA ने कई सीटों पर निभाई निर्णायक भूमिका, जानें किस दल को पहुंचाया अधिक नुकसान

बिहार चुनाव 2020 में इस बार नोटा का भी बोलबाला रहा है.पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में इसका काफी बड़ा प्रभाव देखने को मिला.इस बार कई सीटें ऐसी भी रही जहां आमने-सामने हुए दो प्रमुख प्रतिद्वंदियों के बीच जीत-हार का अंतर नोटा से भी कम रहा है. यानि बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले जिन्हें इस बार कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आए.

बिहार चुनाव 2020 में इस बार नोटा का भी बोलबाला रहा है.पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में इसका काफी बड़ा प्रभाव देखने को मिला.इस बार कई सीटें ऐसी भी रही जहां आमने-सामने हुए दो प्रमुख प्रतिद्वंदियों के बीच जीत-हार का अंतर नोटा से भी कम रहा है. यानि बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले जिन्हें इस बार कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आए. Bihar Election News से जुड़ी हर खबर के लिये बने रहिये Prabhat Khabar पर.

जमुइ, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर और खगड़िया में नोटा का असर 

बात पूर्व बिहार की करें तो जमुइ, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर और खगड़िया में 25 सीटों पर नोटा को कुल 71,162 वोट मिले. वहीं कोसी की 13 सीटों पर 39,314 वोटरों की पसंद नोटा ही रही. बात सीमांचल की करें तो 76,899 लोगों ने नोटा के साथ ही जाना उचित समझा. यानि इन क्षेत्रों के ये 1,87,375 लोग ऐसे थे, जिन्हें इस बार कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं था और उन्होंने नोटा का बटन दबाकर अपनी नाराजगी जताई.

कुल 7,06,252 वोट NOTA को पड़े, महागठबंधन को हुआ ज्यादा नुकसान 

नोटा के वोट ने उम्मीदवारों के जीत-हार पर भी कइ जगहों पर असर डाला है. पूरे बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव में कुल 7,06,252 वोट NOTA को पड़े हैं. प्रदेश की कुल 30 सीटें इस बार ऐसी रहीं जहां जीत-हार के अंतर नोटा में पड़े वोट से कम थे. इन सीटों में अधिक जगहों पर हार महागठबंधन के प्रत्याशी को ही मिली है. करीब 20 से अधिक सीटें ऐसी हैं जहां नोटा को मिले वोट से कम अंतर में महागठबंधन प्रत्याशी की हार हुई है.वहीं कुछ सीटों पर यही हालत एनडीए के साथ भी है.

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नोटा के वोट अगर किसी उम्मीदवार को मिले होते…

इस तरह बिहार चुनाव 2020 में एनडीए और महागठबंधन दोनों जब बहुमत के आंकड़े के करीब ही आगे-पीछे जाकर रूकी है तो ये नोटा के वोट और सीटों पर उसका प्रभाव इस बात का संकेत देता है कि प्रत्याशी अगर जनता के मिजाज को देखकर दी गई होती तो ये नोटा में पड़े वोट किसी न किसी दल के हिस्से ही आई होती और इससे राजनीतिक दलों को सीटों का फायदा भी हो सकता था.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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