पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सियासी गहमागहमी जारी है. इसमें लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के एक नेता की खूब चर्चा हो रही है. उनका नाम है ‘चिराग पासवान.’ बॉलीवुड में करियर बनाने का सपना देखने वाले चिराग पासवान का फिल्मी दुनिया से जल्द ही मोहभंग हो जाता है. उनकी राजनीति में एंट्री होती है. पिता रामविलास पासवान का नाम राजनीति में राह आसान कर गया. इस बार बिहार चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा जिन नेताओं की है, उसमें चिराग पासवान भी शामिल हैं.
चिराग पासवान एक युवा नेता हैं. बिहार के कद्दावर नेता रामविलास पासवान उनके पिता हैं. चिराग को मौके की नजाकत के हिसाब से फैसले लेने के लिए जाना जाता है. खास बात यह है चिराग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के काफी पहले तैयारी तेज कर दी थी. ट्विटर पर ‘युवा बिहारी चिराग पासवान’ बन गए. आज किंगमेकर बनने का सपना देख रहे हैं. चिराग पासवान के पास राजनीति में सबसे बड़ी उपलब्धि अगर कुछ है तो वो है लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान का पुत्र होना.
खुद को बिहार की किस्मत बदलने वाला नेता साबित करने में जुटे चिराग फिल्मों में करियर बनाना चाहते थे. 31 अक्टूबर 1982 को पैदा हुए चिराग ने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की. ग्लैमर की दुनिया में कदम रखने वाले चिराग फैशन डिजायनर भी हैं. हालांकि, उन्होंने बॉलीवुड में करियर बनाने की ठानी. 2011 में फिल्म ‘मिले ना मिले हम‘ आई. यह चिराग की बॉलीवुड डेब्यू थी. चिराग ‘कल के सुपर स्टार’ कैटेगरी में स्टारडस्ट अवार्ड के नॉमिनेट हुए. फिल्म फ्लॉप हुई और चिराग का बॉलीवुड से मोहभंग हो गया.
बॉलीवुड में फ्लॉप स्टार होने का तमगा हासिल करने के बाद चिराग ने राजनीति का रूख किया. चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान जाने-माने राजनेता हैं. राजनीति में उनकी ग्रैंड लॉन्चिंग हुई. 2014 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान ने बिहार की जमुई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और दिल्ली पहुंचे. इन सबके बीच लोक जनशक्ति पार्टी का 2005 के बाद प्रदर्शन ‘फ्लॉप शो’ जैसा रहा. 2005 में बिहार में ‘किंगमेकर’ बनने की चाह रखने वाले रामविलास पासवान ना तो किंग बने और ना ही किंगमेकर. हालांकि, चिराग पासवान ने पार्टी को मुश्किल से उबारने की कोशिश जरूर की. खुद मास लीडर नहीं बन सके.
2014 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एलजेपी और बीजेपी में दोस्ती गांठने में खास रोल अदा की थी. लोकसभा चुनाव परिणाम में लोजपा को 6 सीटें मिली. खुद चिराग पासवान ने 32 साल की उम्र में सांसद बनने का सपना पूरा किया. इसके बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान ने अपनी पार्टी की कमान संभाली थी. इस बार देश और दुनिया की निगाहें कोरोना संकट के बीच पहली बार होने जा रहे लोकतंत्र के महापर्व पर टिकी हैं. दूसरी तरफ चिराग पासवान भी अपना रूतबा दिखाने में जुटे हैं. लेकिन, बॉलीवुड की तरह ही चुनावों में स्टार बनाने का फैसला जनता करती है, विरासत नहीं.
Posted : Abhishek.