पटना : प्रदेश के सभी छोटे-बड़े विपक्षी दलों ने सामूहिक तौर पर मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिख कर कहा है कि आयोग तय तिथि पर बिहार विधानसभा चुनाव कराने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करें, वह जो भी फैसला ले, उसमें कोविड के मद्देनजर आम जन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाये. यह सुनिश्चित किया जाये कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान वह बिना किसी भय के अधिक से अधिक भागीदारी कर सकें. विपक्षी पार्टियों ने उम्मीद जतायी है कि आयोग का फैसला जल्द होगा और लोकतांत्रिक शुचिता के अनुरूप होगा.
राजद, सीपीआइ, वीआइपी, सीपीआइएमएल, शरद यादव की लोकत्रांतिक जनता दल, हम, आरएलएसपी, यूपीए गठबंधन आदि के दलों ने शुक्रवार को इस आशय के पत्र में आयोग को दो टूक बता दिया है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रक्रिया में समानता और विपक्षी पार्टियों को समान अवसर दिया जाये.
विपक्षी दलों ने आयोग को बताया है कि सर्वदलीय बैठक में सत्ताधारी दल के उस प्रस्ताव को अमल में न लाया जाये, जिसमें उसने डिजिटल प्लेटफार्म पर वर्चुअल चुनाव प्रचार की वकालत करते हुए पारंपरिक अभियान को प्रतिबंधित करने का आग्रह किया था.
विपक्षी दलों ने अपने पत्र में एक स्वर में कहा है कि ऐसा किया गया तो वह निषेधात्मक और गैर लोकतांत्रिक होगा. इससे अधिकतर मतदाता चुनाव से कट जायेंगे. ट्राइ के आंकड़े का हवाला देते हुए कहा लिखा है कि बिहार के केवल 34 फीसदी आबादी के पास स्मार्ट फोन है. लिहाजा डिजिटल प्लेटफार्म पर चुनाव प्रचार मजाक बन जायेगा.
विपक्षी दलों ने आयोग को ध्यान दिलाया है कि इस पूरे मामले में अभी कोई उसके द्वारा फैसला तक नहीं लिया गया है, जबकि सत्ताधारी दल वर्चुअल चुनाव प्रचार शुरू कर चुके हैं. साफ किया कि आयोग ने अभी तक चुनाव खर्च की सीमा भी तय नहीं की है.
विपक्षी दलों ने आशंका व्यक्त की है कि अगर कोविड के खतरे को नजरंदाज किया गया और और वर्चुअल चुनाव प्रचार को मान्यता दी गयी, तो मतदान का प्रतिशत भी प्रभावित होगा. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं कहा जायेगा. लिहाजा आयोग ऐसा प्रबंध करे, जिसके जरिये न केवल लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा भी की जा सके. साथ ही सुनिश्चित किया जाये कि चुनाव प्रक्रिया कोरोना विस्फोट की एक घटना ना बन जाये.
Posted By : Kaushal Kishor