पटना: जिले की मसौढ़ी (सुरक्षित) सीट पर हर चुनाव में राजनीतिक समीकरण के साथ चेहरे बदलते रहे हैं. पूनम देवी को छोड़ कर इस विधानसभा क्षेत्र से किसी विधायक को दोबारा जीत नहीं मिली. वर्ष 2005 से 2015 तक हुए पांच विधानसभा चुनाव में इस सीट पर तीन बार जदयू ,जबकि दो बार राजद का कब्जा रहा. वर्ष 2010 में यह सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित कर दी गयी. इस चुनाव में जदयू के अरुण मांझी ने लोजपा के अनिल कुमार को हराया. वर्ष 2015 के पिछले विधानसभा चुनाव में राजद की रेखा देवी ने हम (से) की नूतन पासवान को हरा कर जीत दर्ज की. 2020 के चुनाव के लिए राजद ने फुलवारीशरीफ के सीटिंग विधायक श्याम रजक को मसौढ़ी से टिकट दिया है, जबकि एनडीए उम्मीदवार की घोषणा बाकी है.
वर्ष 2015 में मसौढ़ी से तत्कालीन महागठबंधन (जदयू-राजद) की उम्मीदवार राजद की रेखा देवी ने एनडीए (भाजपा-लोजपा-हम) उम्मीदवार हम सेक्युलर की नूतन पासवान को एक बड़े अंतर (39186 वोट) से पराजित किया था. इस बार जदयू एनडीए में भाजपा के साथ है. नूतन पासवान पिछले साल जदयू में शामिल हो गयीं. वह क्षेत्र में इस आशा के साथ घूम रही हैं कि आलाकमान पिछले चुनाव के रिकाॅर्ड को देख शायद टिकट दे. श्याम रजक के मुकाबले एनडीए किसको टिकट देगा, इसका सबको इंतजार है.
मसौढ़ी विधानसभा सीट वर्ष 1952 में अस्तित्व में आया. 1952 से 1967 तक के हुए चुनाव में दो-दो विधायक प्रतिनिधित्व करते थे. इस विधानसभा सीट का सबसे अधिक चार बार कांग्रेस पार्टी ने प्रतिनिधित्व किया. तीन बार जदयू के पास रहा. बताया जाता है कि 1952 से 1967 तक सामान्य व आरक्षित वर्ग के लिए अलग-अलग प्रतिनिधि क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे.
Also Read: बिहार विधानसभा चुनाव 2020: बांका में एनडीए और महागठबंधन के बीच होगी सीधी टक्कर, जानें किसका पलड़ा रहा है भारी…
राजधानी के इतने नजदीक होने के बावजूद मसौढ़ी विधानसभा सीट का समुचित विकास नहीं हो पाया. अनुमंडल मुख्यालय होने के बावजूद आज तक कोई भी सरकारी काॅलेज की स्थापना नहीं हो सकी. वहीं, लड़कियों के लिये उच्च शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था सरकारी स्तर पर नहीं हो पायी. आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक अपने बच्चों को मजबूरन वित्तरहित काॅलेजों में ही शिक्षा दिलाने को विवश हैं. नगर में अतिक्रमण, सीवरेज, रेलवे गुमटी पर नित्य लगने वाले जाम के साथ साथ किसानों के लिए पटवन व उनके उत्पादों के लिए समुचित बाजार का न होना प्रत्येक चुनाव में मुद्दा बनता है, लेकिन वह मुद्दा ही रह जाता है. इसके अलावा नगर में वाहनों के लिए नियमित पड़ाव नहीं होने से जाम की समस्या नियमित रहती है. जलजमाव व स्वास्थ्य के क्षेत्र में अस्पताल रहने के बावजूद अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सकों के न रहने से लोगों को पटना का रूख करना पड़ता है. वहीं, अनुमंडल मुख्यालय में अनुमंडल हाॅस्पिटल रहते हुए भी पोस्टमार्टम हाउस नहीं है, जिसका मुद्दा हमेशा उठता है, लेकिन निर्वाचित प्रतिनिधि को इन मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है.
पुरुष-174028
महिला-161711
ट्रांसजेंडर-3
कुल मतदाता- 335742
लिंगानुपात-929.22
1952- राम खेलावन सिंह व सरस्वती चौधरी (कांग्रेस )
1957- नवल किशोर सिन्हा व सरस्वती चौधरी ( कांग्रेस)
1962-पहला नाम ज्ञात नहीं व सरस्वती चौधरी ( कांग्रेस)
1967- भुवनेश्वर शर्मा (सीपीआइ) महावीर पासवान
1969- रामदेवन दास उर्फ साधु जी (जनसंघ )
1972- भुवनेश्वर शर्मा (सीपीआइ )
1977- रामदेव प्रसाद (जनता पार्टी )
1980- गणेश प्रसाद सिंह (लोकदल )
1985- पूनम देवी – (कांग्रेस )
1990- योगेश्वर गोप (आइपीएफ )
1995- गणेश प्रसाद सिंह (जनता दल )
2000- धर्मेंद्र प्रसाद (राजद)
2005-फरवरी- पूनम देवी (जदयू )
2005-नवंबर- पूनम देवी (जदयू )
2010- अरुण मांझी (जदयू )
2015- रेखा देवी (राजद)
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya