पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है. इसी बीच सूबे के लिए 18 सितंबर का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है. पीएम मोदी शुक्रवार को बिहार के ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु के साथ यात्री सुविधा से जुड़ी रेलवे की एक दर्जन परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे. पीएमओ से जारी बयान के मुताबिक ‘वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होने वाले कार्यक्रम में कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन होगा. यह मौका बिहार के लिए एक ऐतिहासिक क्षण के जैसा होगा. 86 साल के बाद मिथिला और कोसी के बीच सीधा रिश्ता बन जाएगा.’
इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी 12 रेल परियोजनाओं का उद्घाटन भी करेंगे. जिसमें किउल नदी पर एक रेल सेतु, दो नई रेल लाइन, पांच विद्युतीकरण से संबंधित योजना, एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शेड के अलावा बाढ़ और बख्तियारपुर में तीसरी लाइन की परियोजना भी शामिल है. पीएमओ के मुताबिक ‘कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन क्षेत्र के लोगों के 86 साल के इंतजार को खत्म करेगा. सालों से लोग रेल महासेतु की मांग कर रहे थे. इससे हजारों लोगों को फायदा मिलेगा. इन योजनाओं के अलावा भी पीएम मोदी बिहार को कई सौगात देने जा रहे हैं.’
खास बात यह है कि 1.9 किमी लंबे महासेतु का शिलान्यास 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. उस समय इस पुल की लागत 323.41 करोड़ थी. समय बढ़ने के साथ ही पुल की लागत बढ़कर 516.02 करोड़ रुपए हो गई.
-
1.9 किमी रेल पुल का 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों शिलान्यास
-
शुरुआत में पुल की लागत 323.41 करोड़ थी
-
समय गुजरने के साथ लागत बढ़कर 516.02 करोड़ रुपए हुई
कोसी नदी के रेल पुल पर परिचालन शुरू होने से कई इलाकों के लोगों को लाभ मिलेगा. साल 2021 की शुरूआत तक फारबिसगंज तक ट्रेन चलने की उम्मीद है. यहां तक ट्रेन चलने पर जोगबनी, कटिहार, गुवाहाटी से भी कोसी और मिथिला का सीधा संपर्क हो सकेगा.
-
2021 की शुरूआत तक फारबिसगंज तक ट्रेन चलने की उम्मीद
-
जोगबनी, कटिहार, गुवाहाटी से कोसी और मिथिला का सीधा संपर्क
गुजरे दिनों को देखें तो भीषण बाढ़ में पुल ध्वस्त हो गया था. इसके बाद कोसी और मिथिला में दूरी बढ़ गई थी. साल 1887 में बंगाल नॉर्थ वेस्ट रेलवे ने निर्मली और सरायगढ़ के बीच मीटरगेज रेललाइन का निर्माण किया था. उस वक्त कोसी नदी का बहाव इन दोनों स्टेशन के बीच नहीं था. कोसी की एक सहायक नदी तिलयुगा बहती थी. तिलयुगा नदी पर ही ढाई सौ फीट लंबा पुल बनाया गया था. साल 1934 में कोसी इलाके में आई भीषण बाढ़ के दौरान पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया. वहीं, कोसी नदी निर्मली और सरायगढ़ के बीच बहने लगी थी.
पुल नहीं रहने से पहले कोसी से मिथिला जाने के लिए करीब 300 किमी की दूरी ट्रेन से तय करनी पड़ती थी. कोसी महासेतु और बलुआहा पुल बनने के बाद सड़क मार्ग से कोसी और मिथिला का मिलन हो गया. अभी निर्मली से सरायगढ़ तक का सफर दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर का है. पुल के निर्माण से 298 किमी की दूरी मात्र 22 किमी में सिमट जायेगी. कुल मिलाकर यह है कि 18 सितंबर का दिन बिहार के लोगों के लिए एक ‘ऐतिहासिक’ दिन होगा जब 86 साल का सपना पूरा होने जा रहा है.
Posted : Abhishek.