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बिहार के कई गांवों में लोग पानी के बीच घिरे, लगातार टूट रहे बांध, नदियों में उफान से बाढ़ का संकट गहराया..

बिहार में अब बाढ़ का संकट गहराने लगा है. अधिकतर नदियों में फिर एकबार उफान देखने को मिल रहा है. गंगा, कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, घाघरा और बागमती नदियां उफान पर हैं. बगहा के कई गांवों के दर्जनों घरों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. जानिए ताजा अपडेट..

Bihar Flood Update: बिहार में गंगा, कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, घाघरा, बागमती नदियां उफान पर हैं. रविवार दोपहर करीब दो बजे वीरपुर बराज से कोसी नदी में दो लाख 33 हजार 430 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. इसमें बढ़ोतरी के संकेत हैं. वहीं वाल्मीकि नगर बराज से गंडक नदी में एक लाख 66 हजार 600 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. इसमें कमी के संकेत हैं. इधर, नरकटियागंज अनुमंडल के नरकटियागंज, गौनाहा, मैनाटांड़, सिकटा प्रखंड क्षेत्र बाढ़ के पानी से प्रभावित होने लगे हैं.

नरकटियागंज में गांवों का संपर्क भंग

नरकटियागंज की खाहड़ नदी में डूबने से सेराजुल मियां की मौत हो गयी. वहीं नरकटियागंज, गौनाहा प्रखंड मुख्यालयों का संपर्क कई गांवों से भंग हो चुका है. मैनाटांड़ प्रखंड के पचरौता से जिंगना जानेवाली सड़क का एप्रोच पथ ध्वस्त होने से कई गांवों का संपर्क टूट गया है. गौनाहा के तारा बसवरिया में बाढ़ का पानी घुसने से दोन कैनाल नहर का बांध टूट गया है. बाढ़ का पानी सरेह में फैलने लगा है. उधर, लौरिया-नरकटियागंज पथ पर पानी का दबाव बढ़ने लगा है.

सिकटा में भी बांध कटा

सिकटा में भी त्रिवेणी नहर का पश्चिमी सुरक्षा बांध 50 मीटर में कट गया है. रामनगर (पचं) प्रखंड के उत्तरांचल स्थित पहाड़ी नदियों के जल स्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी से शनिवार की रात उत्तरांचल स्थित आधा दर्जन गांवों में पानी घुस गया. उधर बगहा एक की सलहा-बरियारवा पंचायत के झारमहुई गांव में मसान नदी का पानी फैल गया है.

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मधेपुर में कोसी में दर्जनभर गांव पानी से घिरे

कोसी, कमला एवं भुतही बलान के जल स्तर में उफान से झंझारपुर के मधेपुर प्रखंड क्षेत्र की एक लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. झंझारपुर में कमला नदी डेढ़ मीटर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. सैकड़ों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. दर्जनभर गांव बाढ़ के पानी से घिर गये हैं. प्रभावित क्षेत्र के लोगों के आवागमन का साधन एक मात्र नाव बची है. कोसी की पूर्वी एवं पश्चिमी तटबंध के बीच स्थित गढ़गांव, बसीपट्टी पूर्वी भाग, बकुआ, भरगामा एवं महपतिया पंचायत के क्षेत्र में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है.

पटना के गांधीघाट पर गंगा खतरे के निशान से नीचे

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा नदी का जल स्तररविवार सुबह करीब छह बजे पटना के गांधीघाट में खतरे के निशान से 80 सेमी नीचे था. हथिदह में गंगा नदी खतरे के निशान से 87 सेंमी नीचे थी, इसमें 32 सेंमी वृद्धि की संभावना है. भागलपुर के कहलगांव में गंगा खतरे के निशान से 92 सेंमी नीचे थी. सुपौल के बसुआ में कोसी खतरे के निशान से 12 सेमी नीचे थी. 22 सेंमी वृद्धि की संभावना है. खगड़िया जिले के बलतारा में कोसी खतरे के निशान से 100 सेमी ऊपर थी. इसमें 27 सेंमी वृद्धि की संभावना है. कुरसेला में यह खतरे के निशान से 42 सेंमी नीचे थी. इसमें 38 सेंमी वृद्धि की संभावना है.

भागलपुर में गंगा

भागलपुर में गंगा के जलस्तर में ठहराव के बाद फिर से बढ़ना शुरू हो गया है. जलस्तर बढ़ने से गंगा घाटों की सीढ़ियों की ओर अब गंगा धीरे-धीरे चढ़ने लगी है. जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाकों में बसे लोगों में दहशत होने लगी है. दरअसल, बीते 24 घंटे में यानी, रविवार को 13 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गयी है. जलस्तर बढ़ोतरी से यह अब 31.92 मीटर पर पहुंच गयी है. हालांकि, अभी यह खतरे के निशान से 1.76 मीटर नीचे है. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गंगा जलस्तर में बढ़ोतरी जारी रहने का संकेत मिला है. खतरे का निशान 33.68 मीटर निर्धारित है.

गोपालगंज में गंडक नदी

नेपाल में हो रही बारिश के कारण गंडक नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. नदी गोपालगंज में खतरे के निशान से 70 सेमी ऊपर बह रही है. रविवार की सुबह सात बजे वाल्मीकिनगर बराज से 1.97 लाख क्यूसेक डिस्चार्ज रहा, जो शाम छह बजे घट कर 1.61 लाख क्यूसेक हो गया. गंडक नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ने के कारण तटबंधों पर दबाव बढ़ने लगा है. सोमवार को गांवों में पानी और घटने की संभावना है. वहीं, निचले इलाके के 43 गांवों के 65 लाख की आबादी के सामने बाढ़ की त्रासदी शुरू होने के आसार हैं. पानी गांवों तक फैल चुका है.

बगहा में मसान नदी का तांडव

 पश्चिमी चंपारण प्रखंड बगहा एक के सलहा-बरियारवा पंचायत के झारमहुई गांव में मसान नदी का भीषण बाढ़ तांडव मचाया हुआ है. मसान नदी के पानी का रौद्र रूप ने कई घरों में टांडा मचाया हुआ है. कई लोग दूसरे के घरों में शरण लिए हुए हैं. मवेशियों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. बच्चों को भी पठन पाठन में कठिनाई हो रही है. पानी ने धान एवं ईख की फसल को नुकसान पहुंचाया है.

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