Bihar News: राज्य सरकार ने बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में फिल्म, सीरियल, वेब सीरीज आदि की शूटिंग के लिए लोकेशन उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. इसके तहत फिल्म निर्माता और निर्देशकों को राज्यभर में वन क्षेत्र, नदी, तालाब, झरना, टूरिस्ट स्पॉट, ऐतिहासिक, धार्मिक धरोहरों के अलावा सरकारी इमारतों में फिल्मों की शूटिंग करने की इजाजत दी जाएगी.
लोकेशन उपलब्ध कराने के एवज में फिल्म के निर्माता राज्य सरकार को भुगतान भी करेंगे. साथ ही न्यूनतम दर पर सुरक्षा भी उपलब्ध कराई जाएगी. इसको लेकर बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम ने सभी जिलों से परिसंपत्तियों की रिपोर्ट मांगी है.
कार्यपालक अभियंता कर रहे रिपोर्ट तैयार
बता दें कि, निगम के पत्र के आधार पर जिलों में पदस्थ भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता से तीन कार्य दिवस में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. ताकि उसे कला, संस्कृति और युवा विभाग को उपलब्ध करायी जा सके. निगम ने जिलों में मौजूद फॉर्म हाउस, पुराने मकान, पार्क, डाकबंगला, अतिथि गृह, तालाब के साथ-साथ अस्पताल, पुलिस चौकी, एनएच, पंचायत भवन, नदी, खेत, मेढ़ की भी रिपोर्ट तलब की है.
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वन विभाग और राजस्व विभाग को भी निर्देश
बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम ने भवन निर्माण विभाग के अलावा वन विभाग और राजस्व विभाग को भी रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा दिया है. रिपोर्ट में यह बताना होगा कि परिसंपत्तियों के उपयोग के लिए शूटिंग की इजाजत किस स्तर के अधिकारी देंगे.
शूटिंग के लिए कितनी राशि प्रोड्यूसर्स को शुल्क के रूप में जमा करनी होगी. इसकी जानकारी भी देनी होगी. निगम को सारे लोकेशन की फोटो और मौजूद परिसंपत्तियों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. ताकि दुनिया भर के फिल्म निर्माता अपनी स्टोरी के हिसाब से निगम की वेबसाइट देखकर शूटिंग के लिए लोकेशन बुक कर सकें.
ऐसे स्थानों की पड़ेगी जरूरत
फिल्मों की शूटिंग के लिए फिल्मकारों को कथानक की आवश्यकता के अनुसार फार्म हाउस, पुराने भवन, डाकबंगला, अतिथि गृह, पार्क, तालाब, स्कूल, अस्पताल, पुलिस चौकी आदि की जरूरत पड़ती है. इस नीति के तहत ऐसे स्थानों पर फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने की बात की जा रही है.
बीते चार अक्टूबर को विकास आयुक्त की अध्यक्षता में सशक्त समिति की बैठक में सभी विभागों की ऐसी परिसंपत्तियों की सूची बनाने का निर्देश मिला था. इसके तहत भागलपुर में मौजूद इमारतों और अन्य स्थलों की जानकारी जुटाई जा रही है. फिर सूची बनाकर मुख्यालय भेजी जाएगी.