Bihar Panchayat Chunav: बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election 2021) को लेकर तैयारियों को लगातार अंतिम रूप दिया जा रहा है. गांव की सरकार के चुनाव में मुखिया (Mukhiya) जी की मनमानी ना चले इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission, Bihar) ने बड़ा फैसला किया है. वर्तमान मुखिया के घर के 100 मीटर के अंदर मतदान केंद्र नहीं होंगे.
आयोग के निर्देश के अनुसार कोई भी मतदान केंद्र पुलिस थाना, अस्पताल या डिस्पेंसरी, मंदिरों या धार्मिक महत्व के स्थानों में नहीं बनाया जायेगा. एक ग्राम पंचायत क्षेत्र में दो से अधिक चलंत मतदान केंद्र नहीं बनाये जायेंगे. विशेष परिस्थिति में दो से अधिक चलंत मतदान केंद्र बनाने की आवश्यकता होने पर आयोग से इसकी पूर्वानुमति लेनी होगी. किसी भी परिस्थिति में ग्राम पंचायत क्षेत्र के बाहर दूसरे ग्राम पंचायत में मतदान केंद्र नहीं बनाये जायेंगे.
प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए सामान्यतः तीस वर्ग मीटर क्षेत्रफल का स्थान होना चाहिए. बिहार पंचायत चुनाव के लिए मतदान केंद्रों की अंतिम सूची दो मार्च 2021 को प्रकाशित होगी. मतदान केंद्र बनाने और भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया 20 से 27 जनवरी तक चलेगी. इसे लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिला पदाधिकारी-सह-जिला निर्वाचन पदाधिकारी (पंचायत) को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है.
इसके तहत जर्जर मकानों को मतदान केंद्र नहीं बनाया जायेगा. निजी मकानों की जगह सरकारी या सार्वजनिक भवनों का चुनाव होगा और पहले के मतदान के दौरान जो केंद्र विवादित रहे हों उन्हें इस बार मतदान केंद्र नहीं बनाया जायेगा. यह ध्यान रखा जायेगा कि किसी भी मतदाता को मतदान केंद्र पर पहुंचने के लिए दो किलोमीटर से अधिक की दूरी तय नहीं करनी पड़े.
मतदान केंद्र में प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग व्यवस्था होनी चाहिए. पूर्व के हिंसा संबंधित घटनाओं और वर्तमान में अनुसूचित जाति-जनजाति और समाज के कमजोर वर्ग के मतदाताओं को मतदान से रोके जाने के आधार पर उनके आवासीय क्षेत्र में ही मतदान केंद्र बनाये जायेंगे.
इन वर्गों के मतदाताओं के लिए भवन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में चलंत मतदान केंद्र बनाये जायेंगे. पहाड़ी और वन क्षेत्र में मतदाताओं को मतदान केंद्र पर पहुंचने के लिए अधिकतम दो किमी की दूरी संबंधित नियम को छोड़कर ऐसी व्यवस्था की जायेगी जिससे कि मतदाताओं को अनावश्यक रूप से अधिक दूर तक न चलना पड़े.
Posted By: Utpal kant