बिहार में कई स्थानों पर शुक्रवार को गंगा, गंडक, बागमती, कोसी व परमान नदियां लाल निशान के पार चली गयी हैं. बूढ़ी गंडक और कमला बलान नदी भी उफान पर है. सीवान जिले के दरौली में घाघरा नदी जल स्तर बढ़ने की आशंका है. महानंदा नदी के जल स्तर में कमी का रुख है. जल संसाधन विभाग ने सभी बांधों को ठीक होने का दावा किया है.
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार भागलपुर में गंगा नदी खतरे के निशान से 79 सेंमी नीचे थी. इसमें 30 सेमी वृद्धि की संभावना है. कहलगांव में जल स्तर खतरे के निशान से सात सेंमी ऊपर था. गोपालगंज जिले के कुमरियाघाट में गंडक नदी खतरे के निशान से 70 सेंमी ऊपर थी. खगड़िया में बूढ़ी गंडक नदी खतरे के निशान से 21 सेंमी नीचे थी. इसमें 65 सेंमी वृद्धि की संभावना है.
सीतामढ़ी जिले के ढेंग ब्रिज में बागमती नदी खतरे के निशान से 64 सेंमी नीचे थी, इसमें आठ सेंमी वृद्धि की संभावना है. वहीं, झंझारपुर में कमला बलान नदी का जल स्तर खतरे के निशान से 53 सेंमी नीचे था. इसमें 113 सेंमी वृद्धि की संभावना है. कुरसेला में कोसी नदी का जल स्तर खतरे के निशान से सात सेंमी ऊपर था. अररिया में परमान नदी का जल स्तर खतरे के निशान से 23 सेंमी ऊपर था.
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दरभंगा व पश्चिम चंपारण में बागमती, ओरिया नदियों में उफान है. लेकिन गंडक का जल स्तर गिरा है. गंडक में पानी घटने से कटाव तेज हो गया है. दरभंगा में बागमती नदी में पानी बढ़ गया है. इससे बना पीपा पुल दोनों ओर से लटक गया है. महाराजी पुल निर्माण के क्रम में आवागमन बहाल रखने के लिए पीपा पुल से डायवर्सन बनाया गया है. मिट्टी में फंसे क्रेन सहित अन्य सामान को समेटने में मजदूर जुटे नजर आये. इधर, गंडक नदी में पानी कम होने से दियारा के पिपरा पिपरासी तटबंध सहित कई जगहों पर कटाव का दबाव तेज हो गया है. दियारा इलाकों में जगह-जगह कटाव शुरू हो गया है. जिसके चलते किसानों के खेतों में लगे धान गन्ना के फसल गंडक नदी में धीरे-धीरे विलीन हो रहे हैं.
पटना के मनेर में शुक्रवार को सोन और गंगा नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि के कारण बाढ़ का पानी हल्दी छपरा गांव तक पहुंच गया है. हल्दी छपरा, नयका टोला के सूर्य मंदिर व हल्दी छपरा संगम घाट तक जाने वाली सड़क पूरी तरह डूब गयी है. मनेर, बिहटा, बिक्रम, नोबतपुर समेत आसपास के इलाकों से संगम घाट पर अंतिम संस्कार करने वाले लोगों को आने-जाने में काफी कठिनाई हो रही है. दाह संस्कार के लिए लोग जान को जोखिम में डालकर बाढ़ के पानी में घुसकर संगम घाट तक जैसे-तैसे पहुंच रहे हैं. इधर स्थानीय लोगों ने बताया कि लगातार गंगा और सोन नदी के जलस्तर में वृद्धि हो रही है. अगर जलस्तर में लगातार वृद्धि होती रही तो एक से दो दिनों में बाढ़ का पानी हल्दी छपरा की मुख्य सड़क समेत गांव में घुस जाएगा. लगातार जलस्तर की वृद्धि को लेकर हल्दी छपरा समेत कई गांवों के लोगों के बीच दहशत है. बाढ़ के पानी के कारण इस्लामगंज गांव का आवागमन बाधित है.
नेपाल में बारिश के थमते ही गंडक नदी के जल स्तर में कमी आने लगी है. हालांकि गोपालगंज में गंडक नदी तीसरे दिन भी खतरे के निशान से 55 सेमी ऊपर बह रही है. वाल्मीकिनगर बराज से शुक्रवार को डिस्चार्ज घट कर 1.42 लाख क्यूसेक पर आ गया है. अगले 24 घंटे में नदी का जल स्तर और घटेगा, जिससे तटबंधों पर कटाव का खतरा बना हुआ है. जलसंसाधन विभाग के अभियंता काफी राहत में हैं. इस सीजन का सर्वाधिक 2.93 लाख क्यूसेक पानी नदी में पास कर गया. तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित रहे. हालांकि तटबंधों पर इंजीनियरों की टीम 24 घंटे हाइअलर्ट मोड में निगरानी करने में जुटी है.
गंडक बराज वाल्मीकिनगर से गंडक नदी में पानी छोड़े जाने के बाद बगहा में गंडक दियारा इलाका तथा शहरी क्षेत्र व पिपरा पिपरा सहित कई जगहों पर कटाव का दबाव तेज हो गया है. बताते चले कि पहाड़ों पर हो रही बारिश के चलते पानी गंडक नदी में घट- बढ़ हो रही है. इसको लेकर आम जनता व किसान भी परेशान हैं. इतना ही नहीं लगातार गंडक नदी का पानी घट बढ़ होने के चलते आम जनता में भय, दहशत का माहौल कायम हो गया है. वही धनहा रतवल पुल के निकट पानी का दबाव अधिक तेज हो गया है. जिसको लेकर जगह-जगह अभियंता निरीक्षण कर रहे हैं. अभियंताओं का कहना है कि अभी भी कटाव नियंत्रण में है.