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‍Bihar के छात्र जो यूक्रेन में पा रहे थे शिक्षा अब इन देशों से पूरा करेंगे कोर्स, जानें क्या है प्रस्ताव

Bihar के वैसे छात्र जो यूक्रेन से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, उन्हें अब कई विवि में कोर्स पूरा करने का मौका मिलेगा. यूक्रेन के विश्वविद्यालयों से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे करीब 10 प्रतिशत छात्र मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत ऑफलाइन क्लास के लिए पोलैंड सहित दूसरे देशों में जा रहे हैं.

Bihar के वैसे छात्र जो यूक्रेन से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, उन्हें अब कई विवि में कोर्स पूरा करने का मौका मिलेगा. यूक्रेन के विश्वविद्यालयों से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे करीब 10 प्रतिशत छात्र मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत ऑफलाइन क्लास के लिए पोलैंड सहित दूसरे देशों में जा रहे हैं. वहीं, अन्य छात्र वर्ष पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं. जुलाई में देशभर के छात्रों का जमावड़ा दिल्ली में हुआ, तो वहां उत्तर बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉ आदित्य गौतम ने बताया कि 15 अगस्त के बाद सेमेस्टर बदला, तो यूक्रेन के विश्वविद्यालयों ने भारत लौट आये छात्रों को ऑनलाइन क्लास या ऑफलाइन क्लास का विकल्प दिया. वहीं, कीव यूनिवर्सिटी, लवीव यूनिवर्सिटी और उजोब्रोड यूनिवर्सिटी सहित कई विश्वविद्यालयों ने अपने छात्रों को यूक्रेन से बाहर दूसरे विश्वविद्यालयों में जाकर कोर्स पूरा करने का प्रस्ताव दिया. डॉ आदित्य ने बताया कि मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत दूसरे यूनिवर्सिटी में साल पूरा होने पर ही ट्रांसफर लेना उचित रहता है. अगस्त में सेमेस्टर चेंज हुआ था. जो छात्र ऑफलाइन क्लास के लिए दूसरे यूनिवर्सिटी में गये हैं, उन्हें फर्स्ट इयर, सेकेंड इयर, थर्ड इयर या फोर्थ इयर की पढ़ाई फिर से करनी होगी.

यूक्रेन से लौटे हैं उत्तर बिहार के पांच सौ से अधिक छात्र

मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार के पांच सौ से अधिक छात्र इस साल फरवरी में यूक्रेन से वापस लौटे हैं. इसमें मुजफ्फरपुर के 45 छात्र है. भारत की अपेक्षा मेडिकल की पढ़ाई सस्ती व नामांकन की सुविधा होने के कारण पिछले कुछ सालों में बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों से हर साल बड़ी संख्या में छात्र यूक्रेन जाते रहे. रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो इस साल फरवरी में उन्हें किसी तरह से वापस लाया गया. इसके बाद से ही उनके भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

वापस लौटने लायक नहीं है माहौल, कर रहे ऑनलाइन पढ़ाई

यूक्रेन वापस लौटने लायक अब तक माहौल नहीं बन सका है. वहीं भारत सरकार की ओर से भी कोई पहल नहीं हो सकी है. ऐसे में अधिकतर छात्रों ने यूक्रेन के विश्वविद्यालयों की फीस जमा करके ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है. मुजफ्फरपुर की रहने वाली शालिनी के पिता शैलेश कुमार ने बताया कि फरवरी में बेटी के वापस लौटने के बाद से ही इंतजार कर रहे थे कि केंद्र सरकार कुछ मदद करेगी. कोई उम्मीद नहीं दिखी तो फीस जमा कर दिये. शालिनी अभी घर से ऑनलाइन क्लास कर रही है.

रिपोर्ट: धनंजय पांडेय

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