बिहारशरीफ
. जिला पदाधिकारी शशांक शुभंकर तथा पुलिस अधीक्षक भारत सोनी के द्वारा मंगलवार को संयुक्त रूप से बिहारशरीफ शहरी क्षेत्रों में अवस्थित छठ घाटों पर तैयारी का जायजा लिया गया. इस अवसर पर अधिकारियों ने सूर्य मंदिर तालाब आशा नगर, मोरा तालाब, कोसुक छठ घाट, बाबा मणिराम अखाड़ा छठ घाट, धनेश्वर घाट छठ घाट तथा इमादपुर छठ घाट आदि का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के क्रम में उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि छठ पूजा के अवसर पर इन क्षेत्रों में ट्रैफिक व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, विधि व्यवस्था, छठ घाटों की साफ सफाई, नियंत्रण कक्ष, पेयजल, शौचालय, चेंजिंग रूम, वॉच टावर, मेडिकल टीम, गश्ती दल, भीड़ तंत्र की सुरक्षा, वाहन पार्किंग, एसडीआरएफ की व्यवस्था, सूर्य मंदिर के प्रवेश एवं निकास द्वार पर सुरक्षा व्यवस्था आदि की समुचित व्यवस्था ससमय सुनिश्चित की जाये. उन्होंने कहा कि सूर्योपासना के इस महापर्व के अवसर पर छठ व्रतियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े. इसका विशेष ध्यान रखा जाये. विशेष रूप से छठ घाटों पर भीड़भाड़ को ध्यान में रखते हुए उचित व्यवस्था की जाये. इस अवसर पर नगर आयुक्त दीपक कुमार मिश्रा,अनुमंडल पदाधिकारी नितिन वैभव काजले, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, कार्यपालक पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी सहित स्थानीय पूजा समिति के सदस्य गण आदि उपस्थित थे.गली-मोहल्लों में गूंजने लगे छठ गीत : राजगीर.
केलवा के पात पऽ उगलन सूरज मल झांकी-झुकी… घरे-घरे सुपवा किनाए लागलऽ… आदि छठ गीतों से पर्यटक शहर राजगीर और आसपास के गांवों के गली- मुहल्ले गुंजने लगे हैं. दीपोत्सव के बाद हर ओर छठ पर्व को लेकर भक्तिमय माहौल आरंभ हो गया है. सूर्य भगवान, उषा, प्रकृति, जल, वायु आदि को समर्पित छठ पूजा आते ही हर किसी की जुबान पर छठी मइया के गीत आने लगे हैं. दीपोत्सव समाप्त होते ही छठ पूजा की तैयारी सर्वत्र आरंभ हो गयी है. जितनी श्रद्धा से लोग इस त्योहार को मनाते हैं, उतने ही प्यार से इसके गीत को भी सुनते हैं. सोमवार से छठव्रती गोईठा ठोकने, मिट्टी के चुल्हा बनाने के जुट गये हैं. इसके साथ ही घर आंगन गली और मुहल्ले में छठ गीत गूंजने लगे हैं. घर-घर में महिलाएं छठ गीतों को गाते हुए सारी रस्मों को निभाने लगी हैं. आस्था के इस महापर्व में छठ के लोकगीत प्राणरस की तरह हो रहे हैं. ये सिर्फ गीत नहीं बल्कि इस पूजा में शास्त्र और मंत्र की भूमिका भी निभाते हैं. छठ पूजा करने वाले इन गीतों के बिना इसकी कल्पना तक नहीं कर सकते हैं. पहले दिन नहाय खाय से इस महापर्व का शुभारंभ शुक्रवार को होगा. इस त्योहार में व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. इसमें हर दिन का अपना खास महत्व है. इस पूरी अवधि में व्रती महिलाएं छठी मइया को प्रसन्न करने के लिए छठ के गीत गाती हैं. इस साल पांच नवम्बर से लोक आस्था का महापर्व कार्तिक छठ शुरु होगी. चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत के दूसरे दिन छह नवम्बर को खरना (लोहंडा/नवहंडा) का व्रत किया जायेगा. सात नवंबर को निर्जला उपवास बाद डूबते भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा और आठ नवंबर को उगते भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारन किया जायेगा. चौक चौराहों पर लोकगायिका शारदा सिन्हा और देवी के छठ गीतों के कैसेट बजने से माहौल भक्तिमय बन गया है. इसके अलावे यात्री बसों ट्रकों, ट्रैक्टरों के अलावे निजी गाड़ियों में छठ गीतों के कैसेट बजने लगे हैं. चाय-पान की गुमटियों भी गीत बजाये जा रहे हैं.राजगीर के प्रमुख छठ घाट :
सूर्य कुंड, वैतरणी नदी, हसनपुर सूर्य तालाब, झुनकिया बाबा मंदिर तालाब, डाक बाबा के पास (झालर मोड़) तालाब, गोरौर सूर्य तालाब व मोरा तालाब.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है