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राजगीर विश्व शांति स्तूप के वार्षिक महोत्सव में आएंगे जापान और थाईलैंड से मेहमान, सीएम नीतीश कल करेंगे उद्घाटन

राजगीर में शुक्रवार को विश्व शांति स्तूप का 55 वां वार्षिक महोत्सव मनाया जाएगा. इस कार्यक्रम का उद्घाटन सीएम नीतीश कुमार करेंगे.

बिहार के राजगीर में भगवान बुद्ध के अहिंसा और मैत्री के संदेश के प्रतीक विश्व शांति स्तूप के 55वें वार्षिकोत्सव की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. शुक्रवार को होने वाले इस वार्षिक महोत्सव में जापान के अलावा थाईलैंड, बर्मा, भारत आदि देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे. इस अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. इसी तिथि को रोपवे के पास नवनिर्मित एकीकृत भवन का भी मुख्यमंत्री के हाथों उद्घाटन होना तय है. इस समारोह में मुख्यमंत्री के अलावा पर्यटन एवं उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा, सीजीसी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन अत्सुहीरो होरियुची, सीईओ केनसुके होरियुची समेत अन्य हस्तियां भाग लेंगी. जापानी बौद्ध मंदिर के प्रमुख बौद्ध भिक्षु टी ओकोनेगी ने बुधवार को यह जानकारी दी.

जापानी बौद्ध भिक्षु गुरुवार को पहुंचेंगे राजगीर

टी ओकोनेगी ने बताया कि राजगीर के रत्नागिरि पहाड़ी की चोटी पर निर्मित शांति स्तूप के वार्षिकोत्सव की तैयारी पूरी हो गयी है. शांति स्तूप की सफेद रंग से रंगाई-पोताई किया गया है. रोपवे मार्ग के गैवियन की भी रंगाई पोताई की गयी है. बोधगया से चलकर जापानी बौद्ध भिक्षुओं का पदयात्री दल गुरुवार को राजगीर पहुंचेगी. वे शुक्रवार को विश्वशांति स्तूप के वार्षिकोत्सव समारोह में शामिल होंगे. रत्नागिरी की चोटी पर विश्व शांति स्तूप के इर्द गिर्द विशेष साफ सफाई कराई गयी है.

टी ओकोनेगी ने बताया कि राजगीर का यह शांति स्तूप केवल भगवान बुद्ध के शांति, अहिंसा करुणा और मैत्री का संदेश वाहक ही नहीं, बल्कि भारत- जापान मैत्री का भी प्रतीक है. उन्होंने बताया कि जापान के निप्पोन्जिन म्योहोजी के प्रमुख बौद्ध भिक्षु सहित अनेक बौद्ध भिक्षु एवं बौद्ध धर्मावलंबी इस समारोह में शामिल होने के लिए गुरुवार को राजगीर आएंगे.

बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए आस्था का प्रतीक है राजगीर

टी ओकोनेगी ने बताया कि राजगीर बौद्ध धर्मावलंबियों के आस्था का प्रमुख केंद्र है. विश्व शांति स्तूप की सुंदरता और भव्यता दुनिया के बाकी स्तूपों से अलग है. राजगीर का यह है शांति स्तूप दुनिया को शांति का संदेश दे रहा है कि यहां के कण कण में तथागत की पवित्र आत्मा समाहित है. यहां आने पर बौद्ध धर्मावलंबी भगवान बुद्ध के अहिंसा, दया और मैत्री के भाव में खो जाते हैं.

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राजगीर में वर्षों तक रहे थे भगवान बुद्ध

टी ओकोनेगी ने कहा कि भगवान बुद्ध राजगीर में न केवल कई वर्षों तक ठहरे थे, बल्कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण उपदेश भी इस धरती पर दिए थे. उनके उपदेशों को लिपिबद्ध इसी राजगीर में किया गया था. इसी राजगीर में उनके महापरिनिर्वाण के बाद पहली बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था.

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