थरथरी.
एसीएमओ डॉ कुमकुम ने थरथरी प्रखंड के डायरिया प्रभावित गांव ढिबरापर महादलित टोला पहुंचकर गांव की विभिन्न स्थानों का निरीक्षण किया. इस दौरान एसीएमओ ने डायरिया रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को जन जागरूकता के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए. उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा कर घरों को साफ-सफाई रखने, पानी उबाल कर पीने तथा घर के आसपास पानी जमा नहीं रखने की अपील की. उन्होंने डायरिया की रोकथाम के लिए पीएचसी कर्मियों को सतर्क रह कर 24 घण्टे मरीजों का इलाज करने एवं अधिक से अधिक संख्या में अधिकारी कर्मचारी की ड्यूटी लगाने कहा और चिकित्सकों को उनका बेहतर इलाज करने के निर्देश दिए. उन्होंने स्वास्थ कर्मियों को घर-घर जाकर मरीजों का सर्वे करने को भी कहा है. साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल बिहारशरीफ रेफर करने के निर्देश दिए है. इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने नाले व गंदगी वाले जगह में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव भी किया. इस मौके पर प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी डॉ रिंकू कुमारी, स्वास्थ्य प्रबंधक प्रभात कुमार, गंगासागर, रिपु सूदन, बिलास कुमार आदि लोग मौजूद थे.डायरिया से बचाव के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी : बिहारशरीफ.
मंगलवार को सदर अस्पताल से ””स्टॉप डायरिया अभियान-202”” का शुभारंभ किया गया. इसका शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने किया. इस मौके पर सीएस डॉ सिंह ने कहा कि डायरिया से होने वाली मृत्यु को शून्य तक लाने के उद्देश्य पर बल देने के लिए इस महत्वपूर्ण अभियान को 22 सितंबर तक चलाया जायेगा. भारत सरकार के निर्देशानुसार इस वर्ष इस अभियान को एक पखवारे से विस्तारित करते हुए दो माह तक चलाने का निर्णय लिया गया है. जिसके तहत डायरिया से बचाव, उसकी रोकथाम एवं उपचार के लिए संस्थान एवं समुदाय स्तर पर जनजागरूकता से संबंधित कई अहम गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा. इस अभियान के वृहत आयामों को ध्यान में रखते हुए दो माह तक स्वास्थ्य विभाग सहित छह महत्वपूर्ण सरकारी विभाग समन्वित एवं सक्रिय भूमिका निभायेंगे. इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण पदाधीकारी डॉ राजेंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि यह अभियान हमारे बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि आज भी डायरिया बाल मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है. एक अनुमान के अनुसार राज्य में प्रति वर्ष लगभग 27 लाख बच्चे डायरिया से पीड़ित होते हैं जिनमें से कईयों की जान चली जाती है. उन्होंने बताया कि डायरिया एक आसानी से ठीक होने वाली बीमारी है. लेकिन इसके लिए इसका ससमय पहचान, एवं उपचार आवश्यक है. डॉ चौधरी ने कहा कि डायरिया एक संक्रामक बीमारी है जो सामान्यतः जीवाणु या विषाणु के कारण होता है. यह बीमारी तब फैलती है जब कोई स्वस्थ व्यक्ति गंदे हाथों से भोजन करता है या संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद रोगाणुओं से दूषित पानी या खाद्य पदार्थों का सेवन करता है. इसीलिए डायरिया के प्रसार को रोकने के लिए हमें खुले में शौच से परहेज एवं शौच के बाद व खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना बहुत आवश्यक है. साथ ही हमें दूषित पेयजल एवं खाद्य पदार्थों के सेवन से भी परहेज करना चाहिए. इस अवसर पर बताया गया कि अभियान के अंतर्गत, राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में जिंक-ओ.आर.एस. कॉर्नर की स्थापना की जाएगी . जहां प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी उपलब्ध रहेंगे. साथ ही आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले सभी परिवारों के घर ओआरएस के पैकेट वितरित किए जायेंगे.छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर बल :
एसीएमओ डॉ कुमकुम के द्वारा कहा गया कि डायरिया पर नियंत्रण के लिए 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान, पर्याप्त पूरक आहार और विटामिन-ए देने की आवश्यकता है. उन्होंने रोटा वायरस के टीकाकरण को भी महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को डायरिया हो जाए तो जिंक-ओआरएस का प्रयोग असरकारी होता है. डायरिया के गंभीर मामलों के अस्पताल में उपचार की भी विशेष व्यवस्था होती है. जहां इसके लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं. इस मौके पर डीसीएम साजिद हुसैन, डीडीए उज्ज्वल कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर सत्यम प्रकाश स्वास्थ्य प्रबंधक प्रमोद कुमार बीसीएम सुनील कुमार यूनिसेफ से चंद्रभूषण कुमार एवं पिरामल स्वास्थ्य से शिल्पा मौजूद थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है