बिहारशरीफ. धर्म संस्कृति संगम नालन्दा एवं नालन्दा खुला विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में नालन्दा के बड़गांव स्थित मुख्य परिसर में गुरुवार को सर्वधर्म समभाव का भारतीय सन्दर्भ एवं वैश्विक महत्त्व पर एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की गई. इस कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों का स्वागत के बाद दीप-प्रज्ज्वलन कर किया गया. इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि नालन्दा में आकर सनातन धर्म की विचारधारा से अवगत होने का मौका मिला. भारत में आज भी उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक सनातन धर्म जीवित है. आज के परिप्रेक्ष्य में सभी धर्म के साथ समन्वय की जरूरत है. इंद्रेश गिरी ने कहा कि हमारे विचार, आचरण और लक्ष्य समान हैं. इसी भावना को लेकर यह कार्यक्रम नालंदा खुला विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया है. उन्होंने संदेश दिया कि रास्ते अनेक हो सकते हैं, परंतु गंतव्य एक ही होता है. मनुष्य अपने आचरण और चरित्र से ही अच्छा और नेक बनता है, न कि धर्म की कट्टरता से. धर्मों का आपसी सम्मान ही हमें एकजुट करेगा. इंद्रेश गिरी ने कहा कि तथागत बुद्ध ने 2500 वर्ष पूर्व प्राणियों के सद्भाव और विश्व कल्याण की बात कही थी. धाराएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन हम सभी एक थे. एक हैं और एक ही रहेंगे. ऐसा भाव होने पर छुआछूत, दंगे, प्रदूषण साथ ही गरीबी, बेरोजगारी और अत्याचार से मुक्त भारत बन सकता है, जो विश्व को रास्ता दिखा सकता है. आज दुनिया युद्धों से जूझ रही है, इसलिए उसे युद्ध की जगह बुद्ध की जरूरत है. भारत ही एक ऐसा देश है जो सभी धर्मों, उपधर्मों और उनकी शाखाओं का सम्मान करता है और उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता देता है. इस संदर्भ में पालि भाषा के संरक्षण की भी जरूरत है. इसे सभी के लिए अनिवार्य करना चाहिए. कुलपति प्रो के सी सिंहा व प्रतिकुलपति ने इंद्रेश कुमार को, रजिस्ट्रार ने एन ओयू के कुलपति का स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन पूर्व एमएलसी प्रो. रणवीर नन्दन के द्वारा किया गया. विशिष्ट अतिथि स्वामी विवेकानन्द गिरि जी ने अपने संबोधन में धर्म की व्याख्या करते हुए भारतीय विरासत व संस्कृति की रक्षा की बात कहीं. विशिष्ट अतिथि श्रीलंका के भदन्त डॉ. महिन्दा थेर ने कहा कि विश्वशांति के लिए सर्वधर्म समभाव ही आज के युग की जरूरत है. इससे सभी धर्मों को अपनाना होगा. इस दौरान विशिष्ट अतिथि स्वामी अन्तर्यामी जी, सुमन दास जी सारस्वत अतिथि नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर के कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने कहा कि हमारे देश में वेद का ज्ञान देने वाले ऋषि मुनि व महर्षि अपने ज्ञान से दुनिया को प्रभावित किया है. इनके विचार दुनिया भर के लिए प्रासंगिक हैं. यहीं सनातन की परंपरा है. यह सम्पूर्णता को प्राप्त करने का तरीका है. इसलिए हमें वैश्विक स्तर पर मनभेद में नहीं पड़ना है. मतभेद हो सकते हैं. विचारों के आदान प्रदान करने की आवश्यकता है. वहीं कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति प्रो कृष्ण चन्द्र सिन्हा जी का उद्बोधन हुआ. जबकि धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष, धर्म संस्कृति डॉ. प्रदीप दास द्वारा किया गया. कार्यक्रम का संचालन पूर्व एमएलसी प्रो. रणवीर नन्दन के द्वारा किया गया.
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