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शहर में सुविधा की जगह फजीहत बढ़ा रहा निर्माणाधीन सीवरेज

शहर को स्मार्ट सिटी में शामिल हुए करीब सात साल होने जा रहा है. स्मार्ट सिटी बनाने में सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं.

बिहारशरीफ.शहर को स्मार्ट सिटी में शामिल हुए करीब सात साल होने जा रहा है. स्मार्ट सिटी बनाने में सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. बावजूद अब तक स्मार्ट सिटी परियोजनाओं से शहरवासियों को सुविधा कम और मुश्किल अधिक झेलनी पड़ रही है. इसमें सबसे अधिक खर्च नाला व सीवरेज निर्माण पर हो रहा है. फिर भी तीन साल से निर्माणाधीन सीवरेज व नाला आम लोगों से लेकर वाहन चालकों तक के लिए फजीहत बढ़ा रहा है. अधिकांश सीवरेज व निर्माणाधीन नाला के आस-पास बेतरतीव ढंग से गड्ढे और मिट्टी-पत्थर छोड़ दिये गये हैं. हल्की बारिश के बाद कहीं सीवरेज पर जमा पानी तो कहीं कीचड़ से ढका चैंबर वाहन चालक व पैदल राहगीरों के लिए दुर्घटना का सबब बन रहा है. शहरवासियों का कहना है कि जहां से सबसे पहले सीवरेज निर्माण शुरू हुआ है, वहां आज के दिन आने-जाने के दृष्टि से सबसे खराब स्थिति है. गत तीन वर्ष पहले जीवन ज्योति हॉस्पिटल के आस-पास से सीवरेज निर्माण कार्य शुरू हुआ था. आज यहां सीवरेज के आस-पास कूड़ा और वाहनों का पार्किंग स्थल है. साथ ही यहां कीचड़मय सीवरेज से सड़क दुर्घटना होने का भय वाहन चालकों में रहता है. जीवन ज्योति अस्पताल के 100 मीटर आगे प्रेस क्लब के पीछे सीवरेज पर तीन से पांच इंच कीचड़मय पानी जमा रहता है और दोनों ओर तीन से पांच फुट तक का गड्ढा है, जो कीचड़-मिट्टी से समतल समझकर अक्सर यहां राहगीर व वाहन चालक उसमें गिर जाते हैं. इसके बाद सबसे सबसे खतरनाक स्थिति नाला रोड के मछली मंडी चौराहा पर है. यहां निर्माण एजेंसी आधे-अधुरे सीवरेज निर्माण काम लंबे समय से छोड़े हुए हैं, जहां वर्तमान में सिग्नल लाइट सिस्टम एक्टिव किया है, जिससे अक्सर वाहनों का लंबा कतार लगा रहता है. मछली मंडी चौराहा पर सड़क की स्थित खराब और संकीर्ण है. दूसरी ओर बगल में 10 से 15 फुट गहरा खुला सीवरेज है, जो हादसे काे आमंत्रण दे रहा है. बढ़ती गई निर्माण अवधि और धीमा होता गया काम- वर्ष 2023 तक स्मार्ट सिटी परियोजना से शहर को आधुनिक बनाने की योजनाएं थी, लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ निर्माण अवधि में विस्तार होता गया और कार्य की रफ्तार धीमा होता चला गया. फिलहाल स्मार्ट सिटी में सीवरेज और नाला निर्माण सबसे बड़ी परियोजना है. शहरवासियों का कहना है कि वर्ष 2018 में स्मार्ट सिटी के तत्कालीन एमडी द्वारा करीब 313 करोड़ की लागत से सीवरेज और ड्रेनेज की समस्या दूर करने की बात कहीं गयी थी. इससे एबीडी क्षेत्र में 110 किलोमीटर नाला का निर्माण जिसमें मुख्य सड़क पर करीब 16 किलोमीटर सिवरेज व ड्रेनेज निर्माण का कार्य योजना बनायी गयी थी. स्मार्ट सिटी परियोजना में जब शहर शामिल हुआ था तब शहर को सुंदर और बुनियादी सुविधाएं बेहतर बनाना मिशन का उद्देश्य रहा था. स्मार्ट सिटी के लिए एक हजार 550 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था. वक्त के साथ स्मार्ट सिटी परियोजना का अवधि विस्तार होते चला गया और निर्माण एजेंसी की लापवाही बढ़ी चली गयी. इससे आमलोग की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़े जा रहे हैं. फिलहाल 29 जून 2024 को भारत सरकार द्वारा पत्र जारी कर स्मार्ट सिटी परियोजना को मार्च 2025 तक के लिए अवधि में विस्तार किया गया है. 640 करोड़ रुपये की योजनाएं पर चल रहा काम-स्मार्ट सिटी से अब तक करीब 300 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं पूरी कर ली गयी है. जबकि 640 करोड़ रुपये की योजनाएं पर काम चल रहा है. इनमें फ्लाईओवर, बाजार समिति में मार्केट का निर्माण, 42 सड़कों की मरम्मत, आधुनिक पुस्तकाल, बस स्टैंड आदि हैं. वहीं अब तक ड्रीपआईसी भवन, नालंदा हेल्थ क्लब, नौ प्राथमिक स्कूलों का जीर्णाेंद्धार, टाउन हॉल की मरम्मत, बड़ी पहाड़ी पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग, गांधी पार्क का जीर्णोद्धार, सुभाष पार्क, तालाब जीर्णोद्धार जैसे कार्यों को पूरा कर लिया गया है. क्या कहते हैं अधिकारी- शहर के जीवन ज्योति अस्पताल के आस-पास निर्माणाधीन नाला व सीवरेज पर कीचड़युक्त पानी जमा रहता है. इसकी जांच होगी. इसके साथ- साथ अधिकांश निर्माणाधीन सीवरेज व नाला से जुड़े मामले की जांच करायी जायेंगी. प्राथमिकता के आधार पर आमलोगों की परेशानी दूर की जाएगी. -आनंद शेखर, नगर आयुक्त, नगर निगम बिहारशरीफ

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