भोजपुर जिला के बड़हरा थाना क्षेत्र के बखोरापुर गांव में 58 वर्षीय भाजपा नेता शैलेश सिंह की गोली लगने से मौत हो गई. हालंकी यह हत्या है या आत्महत्या, इस बात का खुलासा अब तक नहीं हो पाया है. बताया जा रहा है, कि रविवार सुबह मृतक शैलेश का शव घर के बाहर दरवाजे पर खून से लथपथ पड़ा था. वहीं, शव के समीप उनकी लाइसेंसी बंदूक भी पड़ी हुई थी.
पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया शव
घटना की सूचना मिलते ही बड़हरा थानाध्यक्ष संजय कुमार अपने दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे. शव के पास से पड़ी बंदूक व एक खोखा को पुलिस ने जब्त कर लिया है. पुलिस के अनुसार प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराने के लिए सदर अस्पताल आरा भेज दिया.
किसी से नहीं था कोई विवाद
ग्रामीणों ने बताया कि मृतक शैलेश सिंह और उनके परिवार का किसी से किसी तरह का कोई विवाद नहीं था. मृतक अपने स्वास्थ्य को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में रहते थे, जबकि मृतक का परिवार काफी समृद्ध एवं सम्पन्न है. उनके छोटे भाई अजय सिंह बिहार-झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ता और उद्योगपति के रूप में जाने जाते हैं.
घर के दरवाजे पर खून से लथपथ पड़ा था शव
जब शैलेश सिंह की मौत हुई तो उनकी पत्नी उर्मिला देवी घर पर थीं. सुबह जब वह उठी तो देखा कि उनके पति दरवाजे के बाहर गिरे हुए हैं. उन्हें लगा कि उसके पति मधुमेह के कारण बेहोश हो गए हैं. यह स्थिति देख कर उर्मीला देवी ने अपने चचेरे देवर को बुलाया. जब वह उसे उठाने गये तो देखा कि शैलेश सिंह का शव खून से लथपथ था. गोली मृतक के सीने में लगी है. घटना की खबर मिलते ही चारों तरफ कोहराम मच गया. चीख पुकार सुनकर ग्रामीण एवं सगे संबंधी मौके पर जमा हो गए. मृतक की पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था.
मृतक की माता देवकुमारी कुंवर बाहर थीं. जब वह घटनास्थल पर आई तो बबुआ हो बबुआ कह कर दहाड़ मारकर रोती और बेहोश हो जाती थी. मृतक के छह संतान में दो पुत्र एवं चार पुत्री है. जिसमें एक पुत्र नीरज सिंह की शादी हो गई है और दूसरा पुत्र धीरज सिंह अविवाहित है. जबकि चारों पुत्रियों की शादी पहले ही कर चुके थे. मृतक चार भाइयों में सबसे बड़े थे. वह भी भाजपा नेता थे. घटना के दिन घर पर कोई उपस्थित नहीं था. सभी लोग बाहर रहते हैं.
हत्या या आत्महत्या, पुलिस कर रही जांच
मृतक के बड़े बेटे नीरज कुमार ने बताया कि मेरे पिताजी को किसी भी चीज की कमी नहीं थी. उन्हें अगर आत्महत्या करनी होती, तो चारदीवारी के अंदर भी कर सकते थे. गेट खोलकर बाहर आने की क्या जरूरत थी? अब सवाल यह उठता है कि क्या शैलेश सिंह की गोली लगने से मौत या आत्महत्या एक हादसा था या कुछ और. पुलिस घटना की जांच में जुट गई है.