आनंद तिवारी, पटना. ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाला इंजेक्शन लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन-बी बाजार में नहीं मिल रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि अभी तक इस इंजेक्शन की मांग बहुत कम थी. इसलिए बाजार में इसकी उपलब्धता भी कम ही होती थी. एक्सपायर होने की वजह से यह इंजेक्शन अप्रैल में कंपनियों को वापस भेज दिये गये थे.
वहीं, फार्मा कंपनी भी इस दवा का आॅर्डर नहीं ले रही है. इधर, ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने से इंजेक्शन की मांग तेजी से बढ़ने लगी. बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष परसन कुमार सिंह ने बताया कि महंगे होने से सभी मेडिकल स्टोर इसे अपने यहां रखते भी नहीं थे.
पटना के अधिकांश मेडिकल स्टोर में सिर्फ आठ से 12 वायल ही रखते थे. मगर ब्लैक फंगस पीड़ित एक मरीज के संपूर्ण इलाज में 50 से 64 इंजेक्शन तक की जरूरत पड़ रही है. इसलिए फिलहाल ये इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं.
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4500 से 6500 रुपये में मिलता है एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन. धंधेबाज 12 से 15 हजार रुपये में ब्लैक कर रहे हैं.
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आइसोकोनाजोल की 10 गोलियों का पत्ता चार हजार में आता था. इसकी आठ से 10 हजार में कालाबाजारी हो रही है
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पोसोकोनाजोल की एक गोली 300 रुपये व सिरप 9500 रुपये से लेकर 19000 रुपये में आती है, लेकिन यह दवा मार्केट में नहीं है.
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वोरिकोनाजोल इंजेक्शन व टेबलेट की भी मांग है. इंजेक्शन व गोलियां बाजार से गायब हैं.
जीएम रोड में 80 से अधिक थोक मेडिकल स्टोर हैं. जबकि काफी संख्या में फुटकर दुकानें भी. लेकिन किसी भी दुकान पर ब्लैक फंगस की दवा नहीं मिल रही है. जीएम रोड के दवा दुकानदार रवि कुमार ने बताया कि एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का ऑर्डर दिया गया है, जल्द ही आ जायेंगे.
पटना के अस्पतालों में इन दिनों 50 से अधिक ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज जारी है. वहीं, अस्पताल संचालकों का कहना है कि ब्लैक फंगस का इंजेक्शन व दवा औषधि विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं करायी गयी है.
Posted by Ashish Jha