बिहार में शिक्षकों की रिकॉर्ड बहाली की गयी. शिक्षकों की नियुक्ति का पैमाना बदला गया और बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) को शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेवारी सौंपी गयी. बीपीएससी से चयनीत 2 लाख से अधिक सरकारी शिक्षक अबतक बहाल हो चुके हैं. शनिवार को प्रदेश में 97 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया. ये शिक्षक ग्रामीण इलाकों के सरकारी विद्यालयों में तैनात किए जा रहे हैं. इन 2 लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति करके बिहार ने देशभर में एक नया कीर्तिमान बनाया है. महज दो महीने के अंदर इतनी बड़ी बहाली की गयी. राज्य में विद्यार्थी: शिक्षक अनुपात में अब जबरदस्त सुधार हो गया है.
वर्ष 2023 बिहार के लिए शिक्षक नियुक्ति का साल कहलाएगा. दो महीने के अंदर दो लाख से अधिक शिक्षकों की बहाली करके बिहार में नीतीश सरकार ने एक मजबूत संदेश पूरे देश में दिया है. बिहार में शिक्षक की नौकरी पाने के लिए दूसरे प्रदेशों से अभ्यर्थी आए. सूबे में 80 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों के भाग्य अब बदलते नजर आ रहे हैं. एकतरफ जहां इन सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे करीब 2 करोड़ बच्चों के लिए शिक्षकों की कमी पूरी हो गयी है तो वहीं दूसरी तरफ स्कूलों की व्यवस्था को भी दुरुस्त करने के लिए अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग कई बड़े बदलाव कर रहा है. स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की चयन प्रक्रिया पर भी पहले कई सवाल उठते रहे. वहीं नियुक्ति की कमान सरकार ने बीपीएससी को सौंपकर अब इस शिकायत को भी दूर करने का प्रयास किया है.
अक्टूबर 2023 में सवा लाख से अधिक शिक्षकों का चयन किया गया था. 2 नवंबर 2023 को पटना के गांधी मैदान में सीएम नीतीश कुमार के हाथों शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा गया था. वहीं सवा लाख शिक्षकों को स्कूलों में तैनात करने के बाद सरकार ने फिर से बंपर बहाली निकाली और 90 हजार से अधिक नए शिक्षकों का और चयन किया. 13 जनवरी 2024 को 94052 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा गया. बिहार ने दो चरणों में दो लाख से अधिक शिक्षकों की बहाली करके नया इतिहास रचा है.
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बिहार में शिक्षकों की संख्या में बंपर इजाफा हुआ है. इससे पहले 2006-07 से 2018-19 तक राज्य के प्राथमिक स्कूलों में कुल 3,19,700 पंचायत एवं नगर शिक्षक थे. वहीं 2022 में 42 हजार प्राथमिक शिक्षक नियुक्त किए गए थे. अब दो लाख से अधिक बीपीएससी शिक्षकों की नियुक्ति के बाद राज्य में विद्यार्थी: शिक्षक अनुपात 35:1 हो गया है. जो राष्ट्रीय विद्यार्थी: शिक्षक अनुपात के बराबर है. दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति से पहले यह 45:1 था. जबकि वर्ष 2005 में यह अनुपात 65:1 था. खास बात यह है कि इन नवनियुक्त शिक्षकों की तैनाती ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में हुई है. कुल चयनीत शिक्षकों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं.
बिहार में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को सुधारने के लिए अपर मुख्य सचिव के पद पर सख्त मिजाज आइएएस अधिकारी के के पाठक को लाया गया. उन्होंने सरकारी स्कूलों का निरीक्षण लगातार किया और स्कूलों की व्यवस्था में सुधार के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं. शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति के साथ-साथ पढ़ाई की गुणवत्ता को भी उन्होंने प्राथमिकता दी है. इसका असर भी सामने दिखने लगा है. वहीं बीपीएससी से नियुक्त शिक्षकों को के के पाठक अपनी सलाह भी देते हैं.शिक्षकों को उन्होंने पूरी लगन के साथ स्कूलों में अपना योगदान देने को कहा है. जबकि स्कूल परिसर के जर्जर भवनों को तोड़कर स्कूलों की सूरत को भी बदलने की ओर काम शुरू कर दिया गया है. बिहार में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ठोस शिक्षा मिले. इसका प्रयास निरंतर जारी है.