Bihar flood: बक्सर . बक्सर में 18 और 19 सितंबर को गंगा का जलस्तर 60. 30 पहुंच गया था. डेंजर लेवल से मात्र दो सेंटीमीटर कम था. मगर बाढ़ के पानी में कई गांव के घर समाहित हो गए. गंगा में हो रहे कटाव को रोकने के लिए बालू के बोरा पर केवल तकरीबन 28 लाख रुपये खर्च कर दिए गए. मगर सदर प्रखंड के उमरपुर गांव के पास अभी भी कटाव हो रहा है. वहीं सदर प्रखंड के उमरपुर गांव के पास गंगा का कटाव होने के कारण कई एकड़ जमीन जमींदोज हो रहा है.
गंगा में इन लोगों का घर विलीन
मगर बाढ़ नियंत्रण विभाग गंगा में जमीदोंज हो रहे जमीन को यूपी में होने की बात कहकर कन्नी काट ले रहा है. जबकि छह साल पहले 2018 में सदर प्रखंड के उमरपुर गांव के बीस के डेरा में गंगा से होने वाली कटाव को लेकर 4 करोड़ 2 लाख 43 हजार रुपये खर्च कर दिए गए. मगर कटाव आज भी जारी है. अभी हाल ही में गंगा के बढ़े जलस्तर की वजह से बीस के डेरा के कुल 14 घर बाढ़ के पानी में बह गए. गंगा में इन लोगों का घर विलीन होने के कारण लोग बेघर हो गए हैं.
विभाग के द्वारा खर्च कर दिया गया करोड़ों रुपये
लिहाजा खेत में डेरा-डंडा लगाकर गौरी यादव, पारस चौधरी, रामवचन राम, भुटैली राम, मुन्ना राम रहने को विवश हैं. हालांकि अभी गंगा का जलस्तर घटने के कारण लोग राहत महसूस कर रहे हें. सदर प्रखंड के उमरपुर पंचायत में 20 के डेरा कटाव के कारण कई घर बर्बाद हो गए. जबकि स्थानीय लोगों ने कहा कि 2018 में गंगा नदी के कटाव रोधक कार्य के लिए करोड़ों रुपये बाढ़ विभाग के द्वारा खर्च कर दिया गया. लेकिन स्थानीय राजेश चौधरी, मनोज कुमार ने कहा कि विभाग के द्वारा गंगा नदी का कटाव रोकने के लिए विभाग के द्वारा बोरी में बालू भरकर जाली में रखना था. लेकिन विभाग के द्वारा बोरी में मिट्टी भर कर जैसे तैसे काम कर पैसा की निकासी कर लिया गया है.
एक दर्जन से उपर घर गंगा में समाहित
उमरपुर 20 के डेरा में लगभग 14 घर गंगा में समाहित हो गए. जिनके घर गंगा नदी में विलीन हो गए. वैसे लोगों के पास शासन-प्रशासन की कोई राहत सुविधा नहीं पहुंचा. कोई भी सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण लोग अभी भी जैसे तैसे रह रहे हैं. यहां के कुछ भूभाग बिहार और यूपी में पड़ने के कारण बाढ़ रोकने की कवायद धीमी हो गयी है. हर एक से दो साल पर विभाग करता है करोड़ों रुपये खर्च गंगा नदी का कटाव रोकने के लिए बाढ़ विभाग उमरपुर, मझरिया, अर्जुनपुर, केशोपुर में प्रत्येक साल कटाव रोकने के नाम करोड़ों रुपये खर्च करता है लेकिन इस सब का खुलासा तब होता है जब गंगा नदी का पानी बढ़ता या घटता है तो विभाग के द्वारा कराए गए कार्य का खुलासा होता है.