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BUXAR NEWS : जब कटाव स्थल यूपी में, तो कैसे खर्च हुए चार करोड़

BUXAR NEWS : सदर प्रखंड के बीस के डेरा गांव के जो घर गंगा में विलीन हो गये, उनके स्वामी को आज तक सरकारी मुआवजा नहीं मिला. ऐसे में अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर जब वह जगह बक्सर जिले में है ही नहीं, तो फिर 2018 में बाढ़ नियंत्रण विभाग ने कटाव रोकने के नाम पर उस जगह पर कैसे चार करोड़ दो लाख रुपये खर्च कर दिया.

बक्सरण. सदर प्रखंड के बीस के डेरा गांव के जो घर गंगा में विलीन हो गये, उनके स्वामी को आज तक सरकारी मुआवजा नहीं मिला. ऐसे में अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर जब वह जगह बक्सर जिले में है ही नहीं, तो फिर 2018 में बाढ़ नियंत्रण विभाग ने कटाव रोकने के नाम पर उस जगह पर कैसे चार करोड़ दो लाख रुपये खर्च कर दिया. फिर गत माह जिले में गंगा में आयी बाढ़ के पानी से हो रहे कटाव को रोकने के लिए उस जगह की डीपीआर बनाकर बाढ़ प्रमंडल कार्यालय के कार्यपालक अभियंता ने विभाग समेत बिहार सरकार को कैसे भेज दी, जबकि आज भी बीस के डेरा में गंगा का कटाव जारी है. बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता कन्हैया लाल सिंह ने शनिवार और रविवार को उस जगह का मुआयना करने के बाद कहा कि जिस जगह पर कटाव हो रहा है, वह जीओ टैग में यूपी दिखा रही है. कटाव वाले क्षेत्र का फोटो भी यूपी का आ रहा है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जिस जगह पर कटाव हो रहा है वह लेफ्ट साइड में यूपी में पड़ता है, जबकि राइट साइड में बिहार में पड़ता है जिसकी सूचना विभाग समेत बिहार सरकार को दे दी गयी है. जब उनसे यह पूछा गया कि जब वह जगह यूपी में है, तो फिर बाढ़ नियंत्रण विभाग ने कैसे 2018 में उस जगह पर कटाव रोकने के नाम पर दो करोड़ रुपये से ज्यादा राशि खर्च कर दी. कटाव रोकने के लिए आखिर कैसे इवर ग्रीन विष्णुपर सुपौल कंपनी को दो करोड़ से ज्यादा राशि का भुगतान कर दिया गया. इसके जवाब में बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता कन्हैया लाल सिंह ने कहा कि जो पहले काम किया गया है उस समय जीओ टैग नहीं था. जानकारी के अभाव में काम करा दिया गया हो. हालांकि वे ये भी कहते हैं कि इस बारे में विभाग के उच्च अधिकारियों से बात कर समाधान निकाला जायेगा, जबकि बीस के डेरा गांव के तीन चार हेक्टेयर खेती योग भूमि भी गंगा की गोद में समाहित हो गया. इधर दूसरी ओर बीस सूत्री जिला कार्यकारिणी के सदस्य संजय सिंह राजनेता ने कहा कि बाढ़ के नाम पर हर साल कटाव रोकने के लिए विभाग लाखों रुपये बालू के बैग पर खर्च करता है, मगर उसका स्थायी समाधान ढूढ़ने की पहल नहीं करता है, ताकि कटाव के नाम पर लाखों रुपये लूट लिया जाये. उन्होंने कटाव के नाम पर खर्च होने वाली राशि की बंदरबांट किये जाने पर प्रशासन से रोक लगाने की मांग की है.

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