डुमरांव. भले हर किसी के पास एन्ड्रायड मोबाईल हो गया हो, सबसे बड़ा संवाद का माध्यम मानने लगे हो. लेकिन गांवों में आज भी चुनाव का वह पुराना दौर देखने को मिलता है. आज भी पेड़ की छांव में, दुकानों पर, चौराहों पर, घरों के बाहर बनें दलान में बैठकर लोकसभा चुनाव की चर्चाएं की जाती है. अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूरी पर स्थित प्रखंड के सोवां पंचायत अंतर्गत रेहियां गांव में ग्रामीणों ने चुनावी चर्चा शुरू कर दी है. किसानों का मुद्दा इनकी सबसे बड़ी चर्चा का विषय होता है. प्रमुख मांग यही रहती है कि सरकार किसी की भी बनंे, लेकिन खेत में सिंचाई व्यवस्था के साथ फसल का उचित दाम मिलना चाहिए. शाम को खाना खाने के बाद गांव में चुनावी चौपाल लग जाती है. ग्रामीण एकत्र होते हैं और हंसी-मजाक के साथ ही गंभीर विषयों पर चर्चा करते हैं. यहां सिर्फ गांव के विकास की ही नहीं, बल्कि शहर, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर भी चर्चा होती है. चौपाल के दौरान सुविधाओं की बात करते हुए कृष्णानंद सिंह ने बताया कि हमारे अनुमंडल में सिंचाई व्यवस्था बेहतर नहीं होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. खेत पटवन के लिए निजी बोरिंग या सरकारी ट्यूबेल गांव में मौजूद है, उसका कराह टूटा पड़ा है. जिससे पटवन नहीं होता. विवश होकर खेत की सिंचाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करना पड़ जाता है. ऐसे भले शहरों का जाल बिछा हो, लेकिन कई ऐसे गांव है, जहां कच्ची सड़कों से होकर गांव पहुंचते है. सोवां की सड़क से रेहियां गांव जाने के लिए कच्ची सड़क है, सरपट सड़क के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. इसी बीच अखिलेश्वर मिश्रा ने ठहाके लगाते हुए कहां भले ही बिहार का विकास हुआ है, बक्सर का विकास हुआ है. लेकिन बेहतर शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों को ओर रूख करना पड़ता है. वहीं ओम प्रकाश मिश्रा उर्फ बद्री मिश्रा ने कहां कि टुड़ीगंज-अरियांव पथ पर ओवरलोडिग वाहनों का आवागमन होने से सड़क जर्जर व बदहाल हो गई है. आदित्य नारायण मिश्रा उर्फ अप्पु खड़े हो गए और अपनी बात दमदारी से रखते हुए कहने लगे कि यह समस्या और सुविधा तो ठीक है, लेकिन हम सभी किसान परिवार से आते हैं. क्षेत्र में खेत की सिंचाई की बेहतर व्यवस्था होने के साथ सभी नहरों व कांव नदी में पानी रहना चाहिए. ताकि किसानों को खेत पटवन व सिंचाई में परेशानी न हो. क्योंकि हम फसल को लेकर रात-दिन मेहनत करते हैं. तभी अभय सिंह व मुरारी सिंह ने बात काटते हुए कहां कि गांव के अधिकांश युवा अब पढ़े-लिखे हैं. अन्य राज्यों में जाकर पढ़ाई कर चुके हैं. इन युवाओं को भी अच्छा रोजगार मिलना चाहिए. इसी बीच दहाडी सिंह, राकेश यादव ने कहां कि हमारा गांव अब पहले से कितना बदल गया है. विकास हो रहा है, लेकिन सिंचाई व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है, भुवनेश्वर यादव, रामरतन शर्मा ने इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहां कि हमारे गांव में किसान भी अब नई तकनीकों के खेती करने लगे हैं, इससे किसानों का काम भी आसान हो गया है. इसी बीच वरिष्ठ नागरिक अपना अनुभव सुनाते हुए कहने लगे कि चुनाव तो हमारे जमाने में होता था. तब बैलगाड़ी से भी प्रत्याशी यहां प्रचार करने के लिए आते थे. ढोल-नगाड़ों के साथ पर्चे घर-घर जाकर बांटते थे. इनके अलावा चौपाल में आदित्य नारायण मिश्रा उर्फ अप्पु, शैलेश सिंह आदि मौजूद रहे.
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