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खेतों में पड़ी दरारें रोहिणी नक्षत्र बाद भी नहर में नहीं आया पानी

प्रखंड के किसी भी राजवाहा में रोहिणी नक्षत्र समाप्ति के बाद भी अभी तक पानी नहीं आया है

राजपुर. प्रखंड के किसी भी राजवाहा में रोहिणी नक्षत्र समाप्ति के बाद भी अभी तक पानी नहीं आया है. खेतों की पैदावार बढ़ाने व किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सरकार द्वारा समय पर उन्नत बीज व खाद का प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा सलाह दिया गया कि रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालने से फसल की पैदावार बंपर होगी. बावजूद क्षेत्र के किसी भी राजवाहा में अभी तक पानी नहीं आया है. तेज धूप एवं बढ़ते तापमान के कारण खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयी है. साथ ही प्रखंड के कई पंचायत में भूमिगत जलस्तर नीचे चल जाने से पेयजल की भी समस्या बढ़ती जा रही है. गांव के सभी तालाब व पोखरा पूरी तरह से सूख गए हैं. एक तरफ जहां किसान पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं बिचड़ा डालने के लिए पानी का इंतजाम करना समस्या बना हुआ है. किसानों को धान का बिचड़ा डालने में काफी परेशानी हो रही है. कई गांव के किसान डीजल पंप सेट एवं इलेक्ट्रिक मोटर चलाकर बिचड़ा डाल रहे हैं.जो महंगा साबित हो रहा है. अभी तक महज पांच से 10 फीसदी किसानों ने बिचड़ा डाला है. कुछ किसान नहर में पानी आने की आस लगाए बैठे हैं. मानसून आने का इंतजार कर रहे हैं. इस संबंध में राजपुर के किसान मनोज त्रिगुण, अकोढ़ी के किसान श्रीराम मौर्य के किसान अभय सिंह ने बताया कि पंप सेट चलाने से भूमिगत जलस्तर नीचे जा रहा है. इसके वजह से चापाकल भी बंद हो रहा है. समय पर धान का बिचड़ा नहीं डालने से फसल भी प्रभावित होने की संभावना हो गयी है. पानी के अभाव में बिचड़ा नहीं डाल पा रहे किसान केसठ. प्रखंड में रोहिणी नक्षत्र बीतने के बाद भी क्षेत्र के विभिन्न नहरों में पानी नहीं आ पाया है.जिसके कारण किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है. रोहिणी नक्षत्र में बिचड़े डालना धान की खेती के लिए महत्वपूर्ण होता है.पानी के अभाव में किसान बिचड़े नहीं डाल पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में धान की खेती के पिछड़ने की चिंता किसानों को सताने लगी है. समय से अगर धान के बिचड़े पड़ जाय तो समय से धान की रोपाई हो जायेगी.ऐसे में धान की पैदावार अच्छी होती है. हर वर्ष क्षेत्र के किसान सिंचाई की समस्या झेल रहे हैं.अगर इस वर्ष भी पानी की कमी हुई तो किसानों का बुरा हाल होगा. रोहिणी नक्षत्र में किसानों को उम्मीद थी कि नहरों में पानी आयेगा.लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ. मौसम के बदलते मिजाज से किसानों में कुछ उम्मीद जग रही है. लेकिन मौसम की अनिश्चितता के कारण उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है.कभी आसमान में बादल छा जाते हैं. इसके बाद पुन: तेज धूप होने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. नहरों में पानी कब आयेगा.नहर में पानी न आने की वजह से किसानों को अपने बिचड़े डालने के लिए पूरी तरह से पंप सेटों पर निर्भर रहना पड़ता है. किसान आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि यदि बारिश नहीं होती है तो धान की रोपनी के समय भी काफी परेशानियों को झेलना पड़ेगा.जब इस नहर में पानी आ जाता है, तो इस क्षेत्र का भूजल स्तर भी काफी अच्छा हो जाता है. भीषण गर्मी में इन क्षेत्रों में भूजल स्तर भी काफी नीचे चला जाता है. जब नहर में पानी आ जाता है तो काफी राहत मिलती है. इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में घूमती जीवों को पीने का पानी भी उपलब्ध हो जाता है. पानी के आभाव में मवेशियों को पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है. डुमरांव राजवाहा समेत अन्य नहरों में रोहिणी नक्षत्र बीतने के बाद भी नहर में पानी नहीं आ सका है.

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