पटना. चैती छठ महापर्व के दूसरे दिन रविवार को कृत्तिका नक्षत्र व प्रीती योग में खरना के पूजा के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया. पूरे दिन उपवास के बाद खीर का महाप्रसाद, केला, ऋतुफल आदि ग्रहण के बाद व्रती दो दिनों के लिए भगवान भास्कर के भक्ति में लीन हो गये हैं. खरना का महाप्रसाद खाने के लिए लोग व्रतियों के देर रात आते-जाते रहे.
सोमवार को चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि में रोहिणी नक्षत्र, आयुष्मान योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि व सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में अस्ताचलगामी सूर्य को संध्याकाल में शाम 6:05 बजे तक पहला अर्घ दिया जायेगा. वहीं 28 मार्च को मृगशिरा नक्षत्र व सौभाग्य योग के साथ द्विपुष्कर योग में उदीयमान सूर्य को दूध व जल से प्रातः 5:55 बजे के बाद अर्घ देकर महाव्रत का समापन किया जायेगा. उगते सूर्य को अर्घ देने से श्रद्धालु को आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का पुण्य मिलता है.
राकेश झा ने बताया कि सोमवार को चैत्र शुक्ल षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ दिया जायेगा. इस बार छठ महापर्व ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में मनाया जा रहा है. इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है. छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है. भगवान भास्कर को अर्घ देने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं. पंडित गजाधर झा के अनुसार छठ महापर्व में सामग्री का विशेष महत्व है. सूर्य उपासना के महापर्व में भगवान भास्कर को पीतल के पात्र से दूध व तांबे के पात्र से जल का अर्घ देना चाहिए .
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सूप, डाला : नये बांस से बने सूप से वंश वृद्धि होती है और वंश की रक्षा होती है.
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ईंख आरोग्यता का घोतक है.
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ठेकुआ समृद्धि का घोतक है.
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ऋतूफल से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है.
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शाम के अर्घ का समय – सोमवार शाम 6:05 बजे
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सुबह के अर्घ का समय – मंगलवार प्रातः 5:55 बजे के बाद