20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Chaiti Chhath Puja 2023 : 25 मार्च को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा चैती छठ, जानिए चैत्र मास का महत्व

25 मार्च को नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू हो रहा है. रविवार 26 मार्च को कृतिका नक्षत्र व प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्याकाल खरना की पूजा करेंगी. वही चैत्र शुक्ल षष्ठी 27 मार्च यानी सोमवार को रोहिणी नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग में सूर्यदेव को सायंकालीन अर्घ दिया जायेगा

Chaiti Chhath Puja 2023 : चैत्र शुक्ल चतुर्थी 25 मार्च को भरणी नक्षत्र में नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू होगा. व्रती गंगा स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवले की चासनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय महापर्व का संकल्प लेंगी. 26 मार्च को कृत्तिका नक्षत्र व प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर शाम में खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगी. इसी के साथ 36 घंटे निर्जला उपवास शुरू हो जायेगा. 27 मार्च को अस्ताचलगामी सूर्य को और 28 मार्च को उदीयमान सूर्य को अर्घ दिया जायेगा.

क्यों मनाया जाता है चैती छठ

लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दौरान व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. छठ में संतान की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रती भगवान सूर्यदेव की आराधना करती हैं. इसके साथ ही इस पर्व को करने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है. छठ पूजा में भगवान सूर्य देव की पूजा का विधान है. संध्या अर्घ्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते हुए अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

चैती छठ में बन रहा कृतिका नक्षत्र व प्रीति योग

राकेश झा के अनुसार चैत्र शुक्ल चतुर्थी 25 मार्च यानी शनिवार को नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू हो रहा है. रविवार 26 मार्च को कृतिका नक्षत्र व प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्याकाल खरना की पूजा करेंगी. वही चैत्र शुक्ल षष्ठी 27 मार्च यानी सोमवार को रोहिणी नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग में सूर्यदेव को सायंकालीन अर्घ दिया जायेगा. प्रातःकालीन अर्घ 28 मार्च को चैत्र शुक्ल सप्तमी के साथ मृगशिरा नक्षत्र व सौभाग्य योग में होगा.

Also Read: बिहार दिवस पर तलत अजीज और जावेद अली बिखेरेंगे अपनी जादुई आवाज का जलवा, यहां जानें पूरा कार्यक्रम

चैत्र माह का महत्व

ज्योतिषाचार्य शंभू प्रसाद ने बताया शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी. वहीं सतयुग की शुरुआत भी चैत्र से मानी जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतार से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए और जलप्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पहुंचाया था. प्रलय के बाद नयी सृष्टि का आरंभ हुआ.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें