पटना. इस साल सावन महीने में अधिकमास होने से हिन्दुओं के सभी प्रमुख पर्व-त्योहारों पर इसका विशेष असर देखने को मिल रहा है. मार्च महीने में ही चैत्र नवरात्र, चैती छठ और राम नवमी संपन्न हो जायेगा. इस महीने के अंतिम सप्ताह में वासंतिक नवरात्र तथा चैती छठ महापर्व होगी. इसलिए इस बार पिछले साल के मुकाबले 11 दिन पहले ही चैत्र नवरात्र शुरू हो रहा है.
चैत्र माह का महत्व
ज्योतिषाचार्य शंभू प्रसाद ने बताया शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी. वहीं सतयुग की शुरुआत भी चैत्र से मानी जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतार से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए और जलप्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पहुंचाया था. प्रलय के बाद नयी सृष्टि का आरंभ हुआ.
शक्ति व भक्ति का प्रतीक है चैत्र नवरात्र
राकेश झा ने बताया कि हिंदू नववर्ष की शुरुआत और शक्ति व भक्ति के प्रतीक चैत्र नवरात्र की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 22 मार्च यानी बुधवार को उत्तरभाद्रपद नक्षत्र व शुक्ल योग में हो रहा है. श्रद्धालु कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक भगवती की उपासना करेंगे. लंका में राक्षसों का संहार कर अयोध्या लौटे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का राज्याभिषेक इसी दिन किया गया था.
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चैती छठ में बन रहा कृतिका नक्षत्र व प्रीति योग
राकेश झा के अनुसार चैत्र शुक्ल चतुर्थी 25 मार्च यानी शनिवार को नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू हो रहा है. रविवार 26 मार्च को कृतिका नक्षत्र व प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्याकाल खरना की पूजा करेंगी. वही चैत्र शुक्ल षष्ठी 27 मार्च यानी सोमवार को रोहिणी नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग में सूर्यदेव को सायंकालीन अर्घ दिया जायेगा. प्रातःकालीन अर्घ 28 मार्च को चैत्र शुक्ल सप्तमी के साथ मृगशिरा नक्षत्र व सौभाग्य योग में होगा.
30 को मनेगी रामनवमी
चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र व सिद्धि योग में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव 30 मार्च को मनाया जायेगा. इस दिन गुरु-पुष्य योग, सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग रहेगा.