Bihar by-election: बेलागंज विधानसभा क्षेत्र से अगर 1998 के उपचुनाव को छोड़ दें, तो 1990 से लगातार डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव राजद की टिकट पर चुनाव जीतते आये हैं. 1998 में भी उनके जहानाबाद सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव हुआ था, जिसमें जनता दल से ही महेश सिंह यादव चुनाव जीते थे. इसके बाद फिर वर्ष 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र प्रसाद ने जीत दर्ज की. इस बार भी सुरेंद्र यादव के जहानाबाद सांसद निर्वाचित होने के बाद इस खाली सीट पर उपचुनाव हो रहा है, जहां 13 नवंबर को मतदान होगा. सोमवार को यहां चुनाव प्रचार का शोर थम जायेगा. वर्ष 1967 के चुनाव को छोड़ दें, तो अब तक इस विधानसभा सीट से कांग्रेस व जनता दल फिर राजद के ही उम्मीदवार चुनाव जीतते आये हैं.
रोजगार के लिए बाहर हैं क्षेत्र के लोग
1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से सच्चिदानंद सिंह ने जीत दर्ज की थी. यह सामान्य सीट है, इसलिए मुकाबला हमेशा कड़ा रहा है. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में विकास की बात करें, तो गांव-गांव तक की सड़कें संपर्क पथ के माध्यम से मुख्य सड़क से जुड़ी हैं. यूं कहें कि आवागमन की सुविधा बहाल है. गांवों तक बिजली के खंभे गड़े हैं. बिजली भी सुदूर गांवों तक है. सिंचाई के लिए अब भी खेती-किसानी बारिश पर ही आधारित है. सिंचाई के बड़े जलस्रोत नहीं हैं. रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हो पाये. इस कारण क्षेत्र के अधिकतर लोगों की आजीविका बाहर में कमाने पर चलती है.
जन सुराज की एंट्री ने बना दिया रोचक मुकाबला
उपचुनाव में सांसद सह पूर्व मंत्री डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह उर्फ विश्वनाथ यादव इंडिया गठबंधन समर्थित राजद की टिकट पर, एनडीए समर्थित जदयू की टिकट पर पूर्व विधान पार्षद मनोरमा देवी व जन सुराज से मो अमजद मुख्य रूप से चुनाव मैदान में हैं. इनके अलावा भी कई और उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं. जनता ने चुप्पी नहीं तोड़ी है, पर मनोरमा देवी व विश्वनाथ यादव के बीच मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार मो अमजद भी जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं.
1962 से हो रहे चुनाव में अब तक किस वर्ष किस पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की
साल | किसने दर्ज की जीत | किस दल के रहे उम्मीदवार |
1962 | रामेश्वर मांझी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1967 | सच्चिदानंद सिंह | संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1969 | मिथलेश्वर प्रसाद सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1972 | जितेंद्र प्रसाद सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1977 | शंभु प्रसाद सिंह | जनता पार्टी |
1980 | शत्रुघ्न शरण सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1985 | अभिराम शर्मा | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1990 | सुरेंद्र प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल |
1995 | सुरेंद्र प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल |
1998 | महेश यादव | जनता दल |
2000 | सुरेंद्र प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल |
2005 | सुरेंद्र प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल |
2010 | सुरेंद्र प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल |
2015 | सुरेंद्र प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल |
2020 | सुरेंद्र प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल |
32 साल तक विधायक रहें सुरेंद्र प्रसाद यादव
इस प्रकार देखें तो करीब करीब 34 वर्षों तक एक ही पार्टी के उम्मीदवार यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इसमें मात्र दो वर्ष महेश सिंह यादव उपचुनाव में विजयी रहे. बाकी के 32 वर्षों तक सुरेंद्र यादव ही जीतते आ रहे हैं. यहां की जनता ने कोई बदलाव नहीं किया है.
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