पटना. 27 जून तक सामान्य तौर पर कश्मीर तक मॉनसून पहुंचता रहा है. अभी इसके दायरे में बिहार भी ठीक तरह से नहीं आ सका है. उत्तरप्रदेश और उसके ऊपर मॉनसून की सक्रियता दूर की बात है. मॉनसून विज्ञानियों का मानना है कि 30 जून के आसपास कम दबाव का केंद्र बिहार और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकसित हो रहा है. अगर इससे मॉनसून को गति मिली तो राहत की बात होगी.
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक बिहार सहित समूचे उत्तरी भारत में मॉनसून बेहद कमजोर है. पिछले तीन दिन से बिहार में औसतन तीन मिलीमीटर बारिश भी नहीं हो सकी है. सोमवार को केवल बिहार में पांच जिलों में नाम मात्र के लिए बारिश हुई है. शेष जिलों में पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी है. प्रदेश में सोमवार तक केवल 94.3 मिलीमीटर बारिश हो सकी है. यह सामान्य से 28 फीसदी कम है. इस अवधि तक बिहार में 131 मिलीमीटर से अधिक बारिश होती रही है.
उल्लेखनीय है कि दक्षिण-पश्चिमी बिहार के कई हिस्सों में अभी बारिश नहीं हुई है. जहां मॉनसून का पहुंचना अभी बाकी है. ऐसा नहीं है कि बिहार के ऊपर बादल नहीं हैं. वे आ और जा रहे हैं,लेकिन नहीं बरस रहे. इसकी वजह यह कि बारिश के लिए जरूरी कम दबाव के केंद्र नहीं बन पा रहे हैं. इसकी वजह से पानी वाले बादलों का निर्माण और संबंधित प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो पा रही हैं.
अगर जुलाई में पहले सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो बिहार की खरीफ फसलों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि मौसम विज्ञानी डॉ गुलाब सिंह ने बताया कि धान के लिए सर्वाधिक संकट है. किसानों को रोपणी और बिचड़ा डालने की जल्द बाजी नहीं करनी चाहिए. उन्हें इसके लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए.
आइएमडी पटना के निदेशक विवेक कुमार सिन्हा ने कहा कि मॉनसून अभी कमजोर है. तीन दिन बाद एक सिस्टम बनने से बारिश के आसार बन रहे हैं. फिलहाल हमें कम दबाव का बन रहे केंद्र का इंतजार करना चाहिए. उम्मीद है कि मॉनसूनी बारिश का दौर फिर शुरू हो.
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