Darbhanga News: दरभंगा. फिर से बदले मौसम से पूरा जिला लगातार तीसरे दिन शीतलहर की चपेट में रहा. आसमान बादलों से ढका रहा. गुरुवार को पूरे दिन सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए. बर्फीली पछुआ हवा से भरी दोपहरी में भी कंपकपी छूटती रही. कंबल व रजाई के नीचे भी ठिठुरन महसूस होती रही. लोगों ने इस सीजन की सबसे अधिक ठंड का अनुभव किया. अधिकांश लोग घरों में ही कैद रहे, लिहाजा सड़कों पर आवाजाही कम दिखी. बाजार में खामोशी पसरी रही. शाम ढलते ही लोगों को अपने कदम वापस घर में खींचने पड़े. उल्लेखनीय है कि पिछले तीन दिनों से मौसम के तेवर अचानक फिर से तल्ख हो गये हैं. सप्ताह के पहले दिन सोमवार तक धूप खिलने व उसमें तपिश रहने की वजह से लोग ठंड गुजर जाने की उम्मीद में थे, लेकिन फिर से मौसम का मिजाज बदल गया और मंगलवार से शीतलहर ने कहर बरपाना आरंभ कर दिया. हालांकि बुधवार को कुछ देर के लिए धूप निकली थी, लेकिन गुरुवार को पूरे दिन सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए. वैसे बादलों की ओट से चंद पल के लिए सूरज ने झांकने की कोशिश की, परंतु बदलों ने झुंड में फिर वह गुम हो गया. इस वजह से लोग दरभंगा जंक्शन, डीएमसीएच, दिल्ली मोड़ बस अड्डा, लहेरियासराय बस स्टैंड, लहेरियासराय स्टेशन आदि जगहों पर क्षमतानुसार गर्म कपड़ों के लबादे में मजबूरन आते-जाते दिखे. वहीं गर्म कपड़ों की दुकानों पर लोगों की भीड़ बढ़ गयी. स्वेटर, जैकेट आदि की खूब बिक्री हुई, जिसमें मफलर, ग्लब्स, टोपी, ट्राउजर आदि की डिमांड सर्वाधिक दिखी.
और नीचे लुढ़का पारा
मौसम का पारा बुधवार की तुलना में और नीचे चला आया. आज सामान्य से और नीचे उच्चतम तापमान का पारा चला गया. राजेंद्र कृषि विवि पूसा के मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक गुरुवार का उच्चतम तापमान 17.2 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.2 डिग्री कम दर्ज किया गया. वहीं एक दिन पूर्व बुधवार को उच्चतम तापमान सामान्य से 2.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था.
दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष रोटी की समस्या
इस विकराल मौसम से यूं तो आम से लेकर खास सभी परेशान हैं, लेकिन नित्य कमाने-खाने के सामने मौसम मुसीबत से कम नहीं है. कटहवाड़ी, दोनार, चट्टी चौक, कादिराबाद सहित अन्य स्थानों पर काम की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचनेवालों को काेई पूछने वाला नहीं मिलता. कुछ ऐसे ही हालात रिक्शा, टेम्पो, ठेला आदि चलानेवालों के भी हैं. सवारी नहीं मिलने के कारण दिनभर इंतजार कर वापस शाम में निराश लौट जाना पड़ता है. ये लोग उपरवाले से जल्द मौसम में सुधार की गुहार लगा रहे हैं.
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