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Darbhanga News: दीवाली-छठ पर भारी पड़ रही पेट की आग

Darbhanga News:दीपावली-छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर एक तरफ जहां परदेसी पूत वापस अपने गांव लौट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दो जून की रोटी के लिए मजदूर तबके के लोग पंजाब-हरियाणा के लिए पलायन कर रहे हैं.

Darbhanga News: दरभंगा. दीपावली-छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर एक तरफ जहां परदेसी पूत वापस अपने गांव लौट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दो जून की रोटी के लिए मजदूर तबके के लोग पंजाब-हरियाणा के लिए पलायन कर रहे हैं. वहां धान की कटनी एवं रबी फसल की बोआई के लिए बढ़ी मजदूरों की मांग को देखकर नित्य हजारों की संख्या में यात्री विदा हो रहे हैं. इनमें अगल-बगल के जिलों के भी मजदूर शामिल हैं. यह सिलसिला पिछले पांच दिनों से चल रहा है. आलम यह है कि अघोषित रूप से मजदूर तबका के लिए चलायी जा रही जननायक एक्सप्रेस में यात्रियों को टिकट लेने के बावजूद जगह नहीं मिल पाती. दो से तीन दिनों से यात्री यहीं पर पड़े हैं. इससे रेलवे को राजस्व तो मिल रहा है, लेकिन यात्रियों की फजीहत हो रही है. एक बोगी में क्षमता से दो से तीन गुणा अधिक यात्री भेड़-बकरी की तरह सफर कर रहे हैं. जंक्शन पर गुरुवार को अमृतसर जाने वाली जननायक एक्सप्रेस जब प्लेटफार्म पर पहुंची तो यात्रियों के बीच सवार होने के लिए अफरा-तफरी मच गयी. कोई ट्रेन रुकने से पहले ही विपरीत दिशा से प्रवेश की कोशिश करने लगा तो कोई आपातकालीन खिड़की के रास्ते बर्थ हथियाने के लिए घुसने का प्रयास करता दिखा. चंद पल में ही पूरी ट्रेन ठसाठस भर गयी. बता दें कि इस क्षेत्र मे काम नहीं मिलने तथा पंजाब-हरियाणा में अधिक मेहनतना दिये जाने के कारण मजदूरों का मौसमी पलायन प्रतिवर्ष छह से आठ बार होता है. बिरौल के कमलपुर निवासी दुर्गानंद मांझी, कुशेश्वरस्थान के विजय कांत मुखिया, मधुबनी के रामसुंदर दास सहित कई मजदूरों ने बताया कि पंजाब तथा हरियाणा में इन दिनों धान की कटनी के साथ रबी की बोआई का काम शुरू हो गया है. वहां से मेट ने बुलावा भेजा है. वहां के खेत इतने अच्छे होते हैं कि अपने गांव की तुलना में दोगुणा से अधिक काम कर लेते हैं. मेहनतना भी कई गुणा ज्यादा दिया जाता है. धान की रोपनी में एक दिन में सामान्य मजदूर भी हजार से 12 सौ रुपये कमा लेते हैं. भोजन भी दिया जाता है. इससे बचत होती है. त्योहार के मौके पर परिवार से दूर जाने के सवाल पर कहा कि टाका रहतै तखने ने पावनि-तिहार भ सकतै.

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