Darbhanga News: जाले. कृषि विज्ञान केंद्र में बुधवार को उद्यान की फसलों की संभावना विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी की शुरूआत हुई. अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया. इसमें बड़ी संख्या में जिला के शामिल थे. मौके पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ विकास दास ने कहा कि आम की विभिन्न प्रजातियों की उपयोगिताओं के आधार पर किसानों को लाभ के लिए भारत सरकार के अंतर्गत पौध किस्म व किसानों के अधिकारों का संरक्षण (पीपीवीएफआरए) संस्था है. इसमें प्रजातियों का पंजीकरण होता है. इसमें पंजीकृत कराने पर किसानों को उनकी प्रजातियों को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिलता है. उन्होंने आम की विविधता की सराहना भी की. लीची में फल फटने तथा प्राकृतिक खेती के उपर काम करने की भी सराहना की. वहीं डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एसके सिंह ने परागण से लेकर उत्पादन तक आम और लीची का सफल उत्पादन का विस्तृत रूप से जानकारी दी. उसमें लगने वाली बीमारियों के प्रबंधन पर चर्चा की. कृषि विवि पूसा के उप प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ विनीता सतपति ने किसानों से परिस्थितियों के अनुसार तकनीक को अपनाने की सलाह दी. कीट विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ नीरज ने मधुमक्खी पालन से फलों का उत्पादन बढ़ाने तथा मधु उत्पादन से किसानों की आय दुगनी करने पर प्रकाश डाला. उन्होंने कीटों, बीमारियों को रोकने व उनका उपयुक्त नियंत्रण तकनीक की भी जानकारी दी. नाबार्ड के डीडीएम राजनंदिनी ने किसानों को ऑनलाइन मार्केटिंग, एफपीओ, प्रसंस्करण भंडारण व फलों के पौधों को लगाने के लिए सरकार से मिलने वाले ऋण एवं सहायता राशि पर विशेष रूप से बताया. कृषि विवि पूसा के फल वैज्ञानिक डॉ आशीष कुमार पांडा ने फसल चक्र का वर्णन किया. धन्यवाद ज्ञापन केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने किया.
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