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Darbhanga News: चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव में तीन दिनों तक प्रवाहित हुई मिथिला की ज्ञान परंपरा, कला एवं संगीत की त्रिवेणी

Darbhanga News:तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव ने संस्कृति व साहित्य पर केंद्रित विमर्श को लेकर एक लंबी लकीर खींचने में कामयाबी हासिल की.

Darbhanga News: दरभंगा. तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव ने संस्कृति व साहित्य पर केंद्रित विमर्श को लेकर एक लंबी लकीर खींचने में कामयाबी हासिल की. यूं तो साहित्य की नगरी दरभंगा में बौद्धिक चिंतन से संबंधित आयोजनों का दौर हमेशा जारी रहता है, लेकिन जिस तरह तीन दिनों तक भारतीय राष्ट्रीय चेतना, मिथिला की ज्ञान परंपरा और यहां की कला-संगीत की त्रिवेणी प्रवाहित हुई. आयोजन स्थल संस्कृत विश्वविद्यालय के क्रीड़ा मैदान में आधे दर्जन सत्रों में दर्जन भर विषयों पर विमर्श किया गया. इसमें ””भारत का स्वतंत्रता संघर्ष : स्व के जागरण का प्रतिफल””, ””भारतीय संस्कृति में मातृशक्ति जागरण””, ””भारतीय साहित्य में सामाजिक समरसता””, ””समावेशी विकास और पर्यावरण संरक्षण””, ””अध्यात्म की वैज्ञानिकता””, ””भारतीय साहित्य में नागरिक कर्तव्य बोध”” ने अच्छी बौद्धिक खुराक दी. वहीं ””””आर्थिक चिंतन का भारतीय दृष्टिकोण”” विषय पर विचार करते हुए विकास के लिए अपरिहार्य आर्थिक परिस्थितियों को भी विमर्श में समेटा गया.

विमर्श के केंद्र में रहा मिथिला-मैथिली

चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव में मिथिला और मैथिली की उपलब्धियों के साथ ही इसके लिए अपेक्षित हित-साधना पर व्यापक चिंतन हुआ. ””साहित्य और पत्रकारिता में भारतीय चिंतन”” तथा ””लोक साहित्य-कला-संस्कृति में एकात्मबोध”” विषयक विमर्श के केंद्र में मिथिला-मैथिली रही. विचार के लिए अलग से एक विषय ही रखा गया था ””मिथिला की ऐतिहासिक ज्ञान-परंपरा. आचार्य सुरेंद्र झा सुमन व आरसी प्रसाद सिंह सरीखे साहित्यकारों के नाम पर पुरस्कार ने भी मिथिला-मैथिली को आयोजन में महत्वपूर्ण माने जाने को रेखांकित किया. आयोजिकीय दृष्टि ने भी पूरे परिसर को मिथिला के रंग में रंग दिया था. विमर्श के लिए बने मंडपों को मिथिला की विदुषियों भारती, गार्गी और भामती नाम दिया गया था. मुख्य मंडप चाणक्य के नाम से था, जिन्हें मिथिलावासी अपना ही मानते हैं. मिथिलाक्षर के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए आह्वान किया गया.

हर उम्र के लोगों के मानस को एक सूत्र में पिरोने का हुआ काम

राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर द्वारा 18 सितंबर को उद्घाटित एवं बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव के समापन भाषण के साथ संपन्न महोत्सव में अधिकांश व्याख्यानों से राष्ट्रवाद की लहरें उठती रही. इसमें व्यक्तित्व से मिलिए के तहत पूर्व सांसद डाॅ राकेश सिन्हा, महाराष्ट्र से पधारे सुनील देवधर आदि के विचार श्रोताओं को भुलाए नहीं भूलेंगी. विद्वान अतिथियों के विचारों ने हर उम्र के लोगों के मानस को एक सूत्र में पिरोने का काम किया.

संस्कृति की रक्षा के साथ पर्यावरण की सुधि

चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव ने स्थानीय युवाओं को आचार्य सुरेंद्र झा सुमन चित्र विथि में लगाए 65 चित्रों के माध्यम से मिथिला के गौरवशाली अतीत का दर्शन किया. युवाओं को पर्यटन केंद्रों की मानसिक सैर करने का अवसर मिला. आयोजन ने जहां संस्कृति की रक्षा पर बल दिया, वहीं पर्यावरण की भी सुधि ली. बुजुर्गों के साथ बढ़ती नई पीढ़ी की दूरी की चिंता भी की गयी. पुस्तक प्रदर्शनी ने युवा पीढ़ी को आकर्षित किया.

दिखी भारत की लघु प्रतिमा

आचार्य सुरेंद्र झा सुमन ने मिथिला को भारत की लघु प्रतिमा कहा है. इसे साकार करने की दिशा में स्वागत समिति के अध्यक्ष युवराज कपिलेश्वर सिंह समेत संयोजक राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, सचिव रंगनाथ ठाकुर, सह-संयोजक राजेश झा, सनोज नायक, सौरभ सुरेका, अविनाश कुमार, उमेश झा, विकास कुमार, कृष्णानंद मिश्र, संदीप तिवारी, विशाल गौरव, राहुल मिश्र, ज्ञानेश पाठक, अमित झा, अवनीश कुमार, उत्सव पराशर, राघव आचार्य, वागीश झा, सनी वाधवानी, धीरज बंसल, दीपक झा की पहल रविशंकर मिश्र के निर्देशन में आकार लेता नजर आया. बिहार के विभिन्न कोने से आए विद्वानों के साथ ही साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष समेत वाराणसी, दिल्ली, उत्तराखंड, झारखंड तथा दक्षिण भारत आदि के विचारकों ने समवेत होकर इसे सार्थक किया.

भूमि-पूजन से समापन तक बही संस्कृति धारा

तीन दिवसीय इस महाकुंभ के आरंभ से अंत तक सांस्कृतिक परंपरा की अविरल धारा प्रवाहित होती रही. सोनू, रमाशंकर, आमोद झा, जलज मिश्र, भावेश झा, रुद्र नारायण मंडल, बिंदु चौहान, मयंक सौरभ, मुकुंद, शांतनु प्रिंस, सत्य प्रकाश, किरण मिश्र, रूपम चौधरी, अयोध्यानाथ झा, कुंदन सिंह, अवधेश झा, डाॅ कन्हैया चौधरी, मुनेंद्र यादव, मनोहर मिश्र, रवि कुमार, प्रियांशु चौधरी, अंकित जैन, तरुण कुमार, कमलेश कुमार, धर्मेंद्र शर्मा, सोनू चौहान, नवनीत झा, ज्वाला चंद्र चौधरी आदि ने इसमें महती भूमिका निभाई.

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