सामंत कुमार, मोतिहारी. सदर प्रखंड के पश्चिमी ढ़ेकहां में स्थापित ऐतिहासिक जंगल को वाल्मीकि नगर की तर्ज पर विकसित किया जायेगा. इसके लिए विभागीय पहल शुरू कर दी गयी है. करीब पचास साल पूराने इस जंगल को सजाने व संवारने के लिए मनरेगा से बजट तैयार किया गया है. पहले चरण में करीब 810 एकड़ जमीन पर फैले इस जंगल में फसली कृषि बीज उपलब्ध कराते हुए कृषि के साथ पौधारोपण भी कराया गया है. करीब 334 एकड़ जमीन पर 1500 यूनिट पौधे लगाये गये हैं.पौधे कई तरह के हैं और समय पर जब तैयार होंगे तो देखने वाला होगा. विभाग से मिली जानकारी के अनूसार,इसे बेहतर लूक देने के लिए मनरेगा की कई योजनाओं को उतारा जायेगा.
बंदरों के साथ सैकड़ों जानवर करते हैं यहां निवास
यह जंगल बंदरों के साथ सैकड़ों जानवरों का बसेरा है और उनकी गतिविधियां कभी लोगों को रोमांचित करती हैं तो कभी डराती भी हैं. यहां सर्वाधिक तादाद में नर, मदा बंदरो का है, जिस कारण पैदल तफरीह करने में खतरा होने की संभावना रहती है. यहां प्राकृतिक का ऐसा मनमोहक नजारा देखने को मिलता है जैसे वादियों में पर्यटकों को मिलती है.
केले की खेती भी होती है इस जंगल में
जंगल के कुछ इलाकों में केले की खेती किसान करते हैं. यहां पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक काम करती देखी जाती हैं. पर्यावरण के लिहाज से यह जंगल काफी लाभदायक माना जाता है और इलाके के लिए आकर्षण का खास केन्द्र होता है.
क्या कहते है अधिकारी
सदर प्रखंड मोतिहारी के पीओ तरूण कुमार ने कहा कि इस जंगल को मॉडल तरीके से विकसित करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. इसमें नयी नयी स्कीम व अन्तर फसली बीज देकर कार्य हो रहा है,आने वाले दिनों में पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केन्द्र होगा.