दिवाली में दीपों का अपना एक अलग महत्व होता है. यह रोशनी का ही त्योहार है. कहा जाता था कि एक समय था जब मिट्टी के दिये का प्रचलन था. लोग मिट्टी के दिपों की जमकर खरीददारी करते थे. लेकिन अब इसमें कमी आई है.
ग्राहक चकाचौंध की दुनिया मे जीने लगे हैं. मिट्टी के दीप नहीं जलाकर यह चाइनीज लाइटों का प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में कुम्हार की कमर टूट रही है. नवगछिया में दर्जन भर कुम्हार मिट्टी का दिये, कलश, चौमुंहि समेत कई सामग्रियां बना रहे हैं.
दीवाली के नजदीक आने पर कुम्हारों ने चाक की रफ्तार बढ़ा दी है. लेकिन यह परेशान है. क्योंकि इनके दीप की बिक्री और कमाई पहले के मुकाबले काफी कम हो गयी है. कुम्हार बताते हैं कि पूर्व में लोग 100 दिये जहां खरीदते थे वो अब 25 दिये खरीद रहे हैं.
इससे कमाई कम होती जा रही है. लोग ज्यादातर अब चाइनीज लाइटों का इस्तेमाल कर घर को रौशन कर रहे है. सुबह चार बजे से रात तक कुम्हार काम करते हैं, लेकिन उतनी कमाई नहीं हो पाती है कि घर सही से चले. यहां लगभग कुम्हारों की हालात दयनीय है. बहरहाल जरूरत है लोग मिट्टी के दीये के प्रति मिट्टी के सामानों के प्रति जागरूक हों और मिट्टी के दीयों से अपने घरों को रौशन करें.
कुम्हार बताते है कि हमलोग बहुत मेहनत करके दीये तैयार कर रहे है. तैयार करने के बाद भी हमलोगों को लाभ नहीं मिल रहा है. इन्हें मिट्टी खरीद कर लाना होता है. मेहनत करने के बाद भी लाभ नहीं होता है.
चाइनीज सामानों की वजह से इनकी बिक्री कम हो गई है. इनके अनुसार चाइनीज सामान को बंद करवा देना चाहिए. लोग चाइनीज सामान नहीं खरीदे, मिट्टी के सामान ही खरीदें. क्योंकि यह शुद्ध होता है.
बता दें कि बाजारों में दिवाली को लेकर रौनक देखने को मिल रही है. लोग रंग- बिरंगी लाइट खरीद रहे हैं.
महिलाएं भी लगातार खरीददारी करते हुए बाजारों में नजर आ रही है. दीवाली को लेकर लोग तैयारियों में जुटे है.