अलीनगर/दरभंगा : धमसाइन निवासी सह पश्चिम बंगाल में कार्यरत शिक्षक डॉ कलीमुल हक को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने से गांव में खुशी का माहौल है. पश्चिम वर्द्धमान के डीएम पूर्णेन्दू मांझी के हाथों उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान मिला. बूढ़ी मां अजीमुन निसां की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है. उनका कहना है कि ऊपर वाले पर पूरा भरोसा था, कि बेटा बड़ा आदमी बनेगा और नाम रोशन करेगा.
अच्छे शिक्षक के रूप में चयन कर सम्मानित किये जाने से दिल को सकून मिला है. उनके शिक्षक रहे अलीनगर के गुलाम फरीद ने कहा कलीमुल शुरू से ही होनहार व मेहनती था. उसने एक मुकाम पाया है. इससे शिक्षक होने के नाते बेहद खुशी मिली है. डॉ कलीमुल की पत्नी तलत खानम मदरसा में शिक्षिका हैं. डॉ कलीम ने प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक स्कूल व उर्दू मध्य विद्यालय से लेने के बाद बीडीवाइ उवि पोहद्दी बेला से 1990 में मैट्रिक प्रथम श्रेणी में पास की थी.
पटना कॉलेज से बारहवीं व स्नातक करने के बाद पटना विश्वविद्यालय से 1997 में पीजी पास की. 2007 में पटना विश्वविद्यालय से ही डेवलपमेंट ऑफ टूरिज्म इन वैशाली डिस्ट्रिक्ट पर शोध कर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. 12 फरवरी 1999 को पश्चिम बंगाल के हितकारिणी उच्च विद्यालय खड़गपुर में सहायक शिक्षक के रूप में योगदान दिया. 23 अप्रैल 2010 को नेपाली पारा हिंदी हाइस्कूल दुर्गापुर में एचएम के रूप में योगदान दिया, जहां कार्यरत हैं.
उन्हें 2013 में निर्मल विद्यालय पुरस्कार, 2017 में शिशुमित्र विद्यालय पुरस्कार, 2018 में जमीनी राय पुरस्कार व 2019 में पश्चिम बंगाल का सर्वोच्च सम्मान शिक्षा रत्न अवार्ड के नवाजा गया. अपनी सफलता के लिए माता-पिता के खास योगदान के साथ हाइस्कूल में विज्ञान शिक्षक रहे गुलाम फरीद साहब व पटना में पढ़ाई के क्रम में अभिभावक की भूमिका निभाने वाले असलम नोमानी को याद किया.
posted by ashish jha