राजदेव पांडेय, पटना
बिहार सरकार नेट (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट ) की तरह ही राज्य के विश्वविद्यालयों मे सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए बिहार राज्य योग्ता परीक्षा बेट (बिहार एलिजिबिलिटी टेस्ट) करायेगी. इसके लिए विषयवार सिलेबस बनाने की तैयारी है. राज्य के विश्वविद्यालयों मे पढ़ाये जाने वाले विषयो के अलग-अलग सिलेबस तैयार किये जायेगे. सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए यह व्वस्था करने वाला बिहार पहला राज्य होगा. बिहार उचतर शिक्षा परिषद ने इस संदर्भ मे प्रोसीडिंग को औपचारिक मंजूरी देते हुए इसका प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजा है.
इस मामले मे उचतर शिक्षा परिषद ने विभाग को सिलेबस बनवाने का प्रस्ताव दिया है. अब आगे की कार्यवाही शिक्षा विभाग को करनी है. हालांकि, इस मामले मे कैबिनेट की मंजूरी मिलनी अभी बाकी है. वही, इससे पहले बनाये गये सिलेबस पर यूजीसी की अनुमति भी लेनी होगी. जानकारी के मुताबिक सिलेबस बनाने के लिए बिहार मे पढ़ाये जाने वाले प्रत्येक विषय के लिए एक्सपर्ट कमेटी तय की जायेगी. यह कमेटी विभिन विषयों के सिलेबस के साथ बिहार की मातृ भाषाओ अंगिका, मैथिली और भोजपुरी आदि भाषाओ के लिए भी सिलेबस भी बनायेगी. नेट मे शामिल विषयो के सिलेबस भी बिहार के परिपेक्ष मे बनाये जायेंगे.
जानकारी के मुताबिक 19 सितंबर को प्रदेश के शिक्षा मंत्री प्रो चंदशेखर की अध्यक्षता मे हुई उच्चतर शिक्षा परिषद की दूसरी बैठक में सहायक प्राध्यापक संबंधी अहर्त के लिए बिहार राज्य योग्यता परीक्षा (बिहार एलिजिबिलिटी टेस्ट ) प्रारंभ करने पर सैद्धांतिक सहमति दी गयी थी. दरअसल, हाल ही मे यूजीसी ने सहायक प्राध्यापको की न्यूनतम योग्यता पीएचडी की अनिवार्यता समाप्त कर दी है. इसके बदले नेट अथवा समकक्ष परीक्षा का प्रावधान किया गया है. इसी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.
बिहारी की कई स्थानीय भाषाओ के अलावा विभिन विश्वविद्यालयों मे कई ऐसे विषय है, जिनमे अभी नेट नही होता है. बिहार एलिजिबिलिटी टेस्ट (बेट) मे इन विषयों को समाहित किया जायेगा. खास बात यह होगी कि बिहार मे सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति मे नेट की भांति बेट पूरी तरह मान्य होगा. बेट के आ जाने से उन छात्रों को विशेष रुप से फायदा होगा, जिनका विषय विशेष मे करिकुलम या सिलेबस नेट से नही मिलता था.
यूजीसी के प्रामर्श के बाद राज्य मे सहायक प्राध्यापको की नियुक्ति के लिए बिहार एलिजिबिलिटी टेस्ट कराने का प्रस्ताव है. इसे परिषद शिक्षा विभाग को सिलेबस बनाने और शेष रह गयी औपचारिकताओ को पूरा करने के लिए भेज रहा है. सरकार का यह निर्णय बिहार की प्रतिभाओं के लिए फायदेमंद होगा. यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक मौजूदा स्थिति मे राज्य स्तर पर इस तरह का टेस्ट कराने वाला बिहार देश का पहला राज्य होगा.
–डॉ कामेशर झा , उपाध्यक्ष बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद