नालंदा. राजगीर स्थित वैभारगिरि पहाड़ पर भीषण आग लगने की सूचना है. आग ने अब तक पर्वत श्रृंखला के करीब तीन किलोमीटर के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है. वहीं मौके पर फायर बिग्रेड की कई गाड़ियां आग पर काबू पाने में जुट गई हैं. आग लगने के कारणों का पता नही चल सका. अगलगी से विभिन्न प्रकार के दूर्लभ जड़ी बूटियों तथा कई प्रजातियों के पेड़ पौधे अब तक राख हो चुके हैं.
बताया जा रहा है कि वैभारगिरि पहाड़ पर लगी इस आग के कारण आसमान में धूएं के बादल छा गये हैं और धुआं शहरी इलाकों तक फ़ैल गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्वतीय इलाकों में अगलगी की घटना प्रत्येक वर्ष गर्मी के दिनों में होती है, लेकिन इस साल आग का फैलाव काफी अधिक एरिया में हो गया है. अभी गर्मी के शुरुआती मौसम में ही पहाड़ पर आग लगने की घटना चिंता का विषय है. इस बीच वन विभाग के कर्मियों की ओर से आग बुझाने की कोशिशें जारी है. राजगीर थाना अध्यक्ष मोहम्मद मुश्ताक अहमद लगातार इलाकों में गश्त कर रहे हैं. वहीं फायर ब्रिगेड की टीम की ओर से भी आप पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है मगर खबर लिखे जाने तक आग पर काबू नहीं पाया गया है.
इधर, नालंदा के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर, वन प्रमंडल पदाधिकारी नालंदा विकास अहलावत एवं निदेशक ज़ू सफारी राजगीर हेमंत पाटिल स्वंय राजगीर में कैम्प कर स्थिति पर हर ताजा अपडेट ले रहे हैं. उन्होंने कहा है कि जल्द ही स्थिति को कंट्रोल कर लिया जायेगा. खबर लिखे जाने तक भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका था. इधर, सोमवार (17 अप्रैल) की सुबह आग की सूचना मिलते ही डीजी शोभा अहोटकर राजगीर पहुंचीं. नालंदा के डीएम, डीएफओ सहित अन्य पदाधिकारी और कर्मी राजगीर के वैभारगिरि पर्वत की तलहटी पहुंचे.
विभागीय सूत्रों के अनुसार पानी की पहुंच से बाहर होने के कारण झाड़ियों एवं हरि पतियों के सहारे आग बुझाने की कोशिश की जाती है. इस वजह से आग पर काबू पाने में काफी समय लगता है. विभाग ने संभावना व्यक्त करते हुए कहा है कि गर्मी के कारण पेड़ों की टहनियों में आपसी घर्षण के कारण चिंगारी उत्पन्न होने या तेज हवा के कारण आपस में पत्थरों के टकराने के कारण भी आग लग जाती है. हालांकि, किसी शरारती तत्वों द्वारा आग लगाने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा रहा है.