छठ महापर्व में अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में पटना के गंगा घाटों और तालाबों क सजाने का काम जोर-शोर से चल रहा है. हालांकि शहर के गंगा घाटों पर अब तक सफाई का काम पूरा नहीं हो सका है. नगर निगम के कर्मचारी अब भी काम पर तैनात हैं. वहीं, इस साल एलसीटी घाट पर भी छठ मनाया जायेगा, जहां घाट पर अधिक ढलान होने के कारण पूजा पर रोक लगा दी गयी थी. जिला प्रशासन की ओर से जल स्तर कम होने के कारण अब हरी झंडी दे दी गयी है. वहीं, दीघा इलाके के जेपी सेतु पश्चिम घाट को खतरनाक श्रेणी में शामिल कर बैरिकेडिंग कर लाल कपड़े से ढक दिया गया है. हर रोज जिला प्रशासन की टीम निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश दे रही है. साथ ही एनडीआरएफ की टीमें लगातार गश्ती कर रही हैं
बांस घाट अंडरपास से घाट किनारे पहुंचने के लिए सीधा रास्ता बनाया गया है. अंडरपास से घाट के तट की दूरी 1200 मीटर है. रास्ते में पांच व घाट किनारे पांच वॉच टावर बनाये गये हैं. घाट को अब भी समतल किया जा रहा है. इस घाट का नाम भी खतरनाक में शामिल था. हालांकि, व्रतियों की सहूलियत के लिए करीब 60 मीटर में घाट तैयार किया जा रहा है. पानी के अंदर बैरिकेडिंग चार स्तरों पर की गयी है. साढ़े तीन फुट से 20 फुट तक पानी में बैरिकेडिंग है. घाट की दाहिनी ओर जलस्तर घटने पर छठ व्रतियों को समस्या हो सकती है.
जिला प्रशासन की अनुमति के बाद एलसीटी घाट की बैरिकेडिंग को हटा दिया गया है. मिट्टी कटाव व गहराई के कारण इसे खतरनाक घाट में शामिल किया गया था. लेकिन अब यहां भी छठव्रती सूर्य को अर्घ दे सकेंगे. पानी के अंदर बैरिकेडिंग व घाट पर सीढ़ियां बनाने का काम बाकी है. यहां पहुंचने के लिए एलसीटी घाट अंडरपास से सीधा रास्ता बनाया गया है. हालांकि, रास्ते को ठीक करने की जरूरत है. वाहन की आवाजाही के दौरान काफी धूल उड़ती है. पूजा के लिए मन्नपुरा, गोसाईं टोला व एलसीटी घाट से लोग पहुंचेंगे.
कलेक्ट्रेट घाट पर लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ने की संभावना है. लेकिन घाट की बायीं ओर अब भी दलदल है. पानी के अंदर करीब 50 फुट पर बैरिकेडिंग की गयी है. करीब 30 फुट आगे जाने पर नदी में एक मीटर पानी है. घाट के तट पर व्रती एनएन सिन्हा अंडरपास व जेसी रोड से पहुंच सकते हैं. जेपी गंगा पथ से घाट की दूरी 1300 मीटर है. पिलर नंबर 16 से घाट के लिए नया रास्ता बनाया गया है, जिसमें पानी व दलदल है.
कलेक्ट्रेट घाट के पास सबसे बड़ी पार्किंग भी बनायी जा रही है. इसके लिए अलग रास्ता बनाया गया है. काम कर रहे लोगों ने बताया कि घाट किनारे 50 शौचालय व 30 टॉयलेट बनाये जा रहे हैं. साथ ही चापाकल के लिए चार बोरिंग व मोटर के लिए चार बोरिंग की जा रही है. यहां अस्थायी अस्पताल भी बनेगा, जिसमें दो बेड, डॉक्टर, दवाएं, एएनएम व एंबुलेंस की व्यवस्था रहेगी
पटना स्मार्ट सिटी द्वारा छठ घाटों की दीवारों पर बनवायी गयी मधुबनी पेंटिंग लोगों का मन मोह रही है. हालांकि, इसे पिछले वर्ष ही बनाया गया था. इस बार सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. इसकी जिम्मेदारी एजेंसी को दी गयी है. कलाकार पेंटिंग को नया रूप दे रहे हैं.
Also Read: पटना में गंगा तट का इलाका पूरी तरह सूखा, इन घाटों पर व्रतियों को मिलेगी पर्याप्त जगह, देखें तैयारियों की फोटोमालूम हो कि छठ घाट पर बने फर्स्ट एड सेंटर की दीवारों पर मेडिकल से संबंधित चित्र दर्शाया गया है. पूजा के दौरान छठ की छटा के साथ लोगों को सोशल मैसेज भी मिलेगा. गांधी घाट पर बनी पेंटिंग से गीले व सूखे कचरे को अलग डस्टबिन में डालने को लेकर जानकारी दी जा रही है.
गंगा का जलस्तर से तेजी से घट रहा है. कई घाटों पर बैरिकेडिंग के बाद भी पानी घटने से दलदल की स्थिति बन जा रही है. मसलन बड़हरवा, कलेक्ट्रेट घाट के रास्ताें आदि जगहों पर स्थिति ज्यादा खराब है. डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति से निबटने के लिए लगातार निरीक्षण किया जा रहा है. सुधारात्मक कार्रवाई भी की जा रही है.
बड़हरवा घाट पर है दलदल
यहां सफाई का काम अब तक खत्म नहीं किया गया है. घाट पर अब भी दलदल है. सीढ़ियों से मिट्टियों को भी नहीं हटाया गया है. पानी के अंदर छह फुट पर बैरिकेडिंग कर लकड़ी को सफेद रंग से रंग दिया गया है. घाट किनारे वॉच टावर व चेंजिंग रूम बना दिया गया है. यहां पटना के सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर छठ गीतों पर रील्स बनाने पहुंचने लगे हैं. अशोक राजपथ से लॉ कॉलेज होते हुए व्रती घाट किनारे पहुंच सकेंगे. एनआइटी मोड़ से घाट की दूरी करीब 600 मीटर है.
कच्ची तालाब में छठ की तैयारी लगभग पूरी हो गयी है. यहां सीढ़ियों की सफाई की गयी है. सीढ़ियों के बाद पानी में बनायी गयी कंक्रीट पिलर की लाल रंग से रंगाई की गयी है. उसमें लगे स्टील पाइप को भी साफ किया गया है, जिससे उसकी चमक बहुत बढ़ गयी है. तालाब की चारों ओर बने चबूतरे में लगे पेड़ों को छह- सात फुट की ऊंचाई तक अलग-अलग रंग से रंग दिया गया है. पानी में भी चूना डालकर उसकी सफाई की गयी है. केवल लाइट लगाने का काम बाकी है, जो छठ से एक-दो दिन पहले होगा.
मानिकचंद तालाब में भी छठ की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. वहां तालाब के गंदे पानी का एक बड़ा हिस्सा निकालकर बाहर फेंक दिया गया है. सीढ़ियों की सफाई की गयी है. साथ ही पानी में बैरिकेडिंग भी की गयी है, क्योंकि गहराई अधिक होने के कारण व्रतियों को खतरा हो सकता है. विदित हो कि चार-पांच वर्ष पहले तालाब के जीर्णोद्धार के दौरान उसके तल की मिट्टी का एक मोटा लेयर काटकर बाहर निकाल दिया गया था. इससे उसकी गहराई बढ़ गयी है. हालांकि, बीएमपी तालाब में छठ घाट की तैयारी अभी शुरू नहीं हुई है. बुधवार से वहां बैरिकेडिंग का काम शुरू किया जायेगा और शुक्रवार तक उसे पूरा कर लिया जायेगा.