गया . विगत दो साल में शहर की हवा की सेहत में बहुत सुधार दिख रहा है. 2019 के मुकाबले इस साल शहर में हवा का प्रदूषण स्तर काफी कम है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट के अध्ययन के बाद यह प्रमाणित होता है.
2019 में जनवरी एक से लेकर 17 तारीख तक शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स का औसत 381 रहा, जो मानक के मुताबिक बहुत खराब स्तर का है. 2020 में एक से 17 तारीख के बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स का औसत 203.11 रहा, जो मानक के अनुसार खराब स्तर का है. इस वर्ष एक जनवरी से 17 जनवरी तक एयर क्वालिटी इंडेक्स का औसत 158.35 है, जो मध्यम स्तर का है.
तीन वर्षों में हवा के स्तर के सुधार के पीछे विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना की वजह से अब भी वाहनों का प्रयोग अधिक नहीं हो रहा है. इसके साथ ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए सफाई व्यवस्था भी बेहतर हुई है. कारण और भी हो सकते हैं. अब चाहे जो भी कारण हो, शहर की हवा अगर बेहतर हो रही है, तो यह सभी के लिए अच्छी खबर है. खास कर कामकाज के सिलसिले में बाहर रहने वाले लोग, बच्चे व बुजुर्गों के लिए बड़ी राहत की बात है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय किये गये मानक के अनुसार हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. इनमें सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों से संबंधित बीमारी जैसे अस्थमा, दिल की बीमारी शामिल हैं.
बुजुर्गों को तो ऐसी बीमारियां होती ही हैं, सामान्य उम्र के लोग भी प्रदूषित हवा लेने से धीरे-धीरे इन बीमारियों की चपेेट में आ जाते हैं. वैसे व्यक्ति जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम है, उनके लिए प्रदूषित जहर साबित हो सकती है.
2019 में शहर में एक से 17 जनवरी के बीच हवा में प्रदूषण स्तर पांच दिन खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था, जबकि 12 दिन हवा बहुत खराब स्तर पर थी. मतलब पूरे 17 दिनों तक शहर में हवा सांस लेने लायक नहीं थी.
वहीं, 2020 में हवा खतरनाक स्तर पर तो एक भी दिन नहीं रही, लेकिन तीन दिनों के लिए हवा बहुत खराब स्तर पर थी. 2021 में सुखद यह रहा है कि अब तक एक भी दिन हवा बहुत खराब या खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंची है.
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0-50 बेहतर
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51-100 संतोषजनक
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101-200 मध्यम स्तर
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201-300 खराब
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301-400 बहुत खराब
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401-500 खतरनाक
मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति सह पर्यावरणविद डा प्रोफेसर रंजीत कुमार वर्मा ने कहा कि यह अच्छा संकेत है. शहर की हवा अगर बेहतर हो रही है, तो लोगों के लिए राहत की बात है. इसके पीछे मुझे तीन कारण समझ आ रहे हैं. पहला कि कोरोना की वजह से अब भी पहले की तुलना में वाहनों का मूवमेंट बहुत कम है.
दूसरा, शहर में सफाई व्यवस्था निश्चित तौर पर बीते कुछ वर्षों में बेहतर हुई है. तीसरा कि गाड़ियों से निकलने वाले निकास फ्यूल यानी धुएं की क्वालिटी में सुधार. अब लोग गाड़ी के प्रति भी जागरूक हुए हैं, बेहतर माइलेज और कम मेंटेनेंस के लिए लोग गाड़ियों में अच्छे इंजन आॅयल का प्रयोग करते हैं. इसकी वजह से गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी कम हानिकारक होता है.
(तीन वर्षों का )
तारीख 2019 2020 2021
1 जनवरी 410 369 210
2 जनवरी 426 318 230
3 जनवरी 423 185 222
4 जनवरी 398 110 176
5 जनवरी 413 110 178
6 जनवरी 340 116 187
7 जनवरी 331 165 185
8 जनवरी 404 198 172
9 जनवरी 355 180 170
10 जनवरी 390 119 111
11 जनवरी 387 116 85
12 जनवरी 395 213 91
13 जनवरी 370 314 80
14 जनवरी 330 241 169
15 जनवरी 326 238 117
16 जनवरी 393 236 107
17 जनवरी 386 225 202
Posted by Ashish Jha