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Kolkata Doctor Murder: गया के ANMMCH में इमरजेंसी वार्ड रहा बंद, तीन मरीजों की मौत

गया के ANMMCH में शनिवार को मरीजों को भर्ती नहीं किया गया. बच्चों के वार्ड से कई नवजात को भी डिस्चार्ज कर दिया गया. OPD शुरू नहीं हुई और इमरजेंसी वार्ड भी बंद रहा. जिसके कारण सर्पदंश और कई अन्य गंभीर मरीजों को दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ा.

Kolkata Doctor Murder Case: कोलकाता में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के विरोध में गया के एएनएमएमसीएच के डॉक्टरों ने शुक्रवार रात 10 बजे से इमरजेंसी गेट पर ताला जड़ दिया. तब से वहां कोई मरीज भर्ती नहीं हुआ है. एंबुलेंस चालकों ने बताया कि इस दौरान तीन गंभीर मरीजों की मौत हो गई. इनमें से दो को सांप ने काट लिया था और एक को करंट लग गया था. उन्होंने काफी देर तक गेट खटखटाया, जब नहीं खुला तो वे उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने लगे. लेकिन, तीनों की मौत इसी जगह हो गयी.

अस्पताल प्रशासन को मौत की नहीं है जानकारी

अस्पताल प्रशासन की ओर से इसकी कोई जानकारी नहीं होने की बात कही जा रही है. उपाधीक्षक डॉ एनके पासवान ने कहा कि कोशिश की जा रही है कि जल्द ही सारी व्यवस्था को बहाल कर लिया जाये. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा व भयमुक्त माहौल भी मांग करना उचित है. उन्हें इन बातों की सहूलियत देनी चाहिए.

इमरजेंसी के गेट पर चादर डाल बैठ गए डॉक्टर

इधर पूरे अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों व परिजनों के बीच उहापोह की स्थिति बनी हुई है. कई मरीजों के परिजन किसी तरह व्यवस्था कर प्राइवेट में दिखाने चले गये. पीडिया से भी भर्ती कई नवजातों को डिस्चार्ज कर दिया गया. कुछ लोगों ने बाहर ले जाने से मना कर दिया, तो उनका इलाज यहां पर ही चल रहा है. अस्पताल में छह दिनों से ओपीडी बंद है. इंटर्न व पीजी के छात्र इमरजेंसी वार्ड के गेट पर शनिवार की सुबह से ही चादर डाल कर बैठ गये हैं. हालांकि, वे किसी को कुछ कहने से बच रहे थे.

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प्राइवेट अस्पतालों के दलाल हुए सक्रिय

सभी स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो जाने के कारण प्राइवेट अस्पतालों के दलाल पूरी तौर से अस्पताल परिसर व बाहर में सक्रिय हो गये हैं. मरीजों का प्राइवेट अस्पताल में जाने का सिलसिला जारी है. वहीं अस्पताल प्रशासन ने डाक्टरों के आक्रोश को देखते हुए इमरजेंसी वार्ड से भर्ती मरीजों को खाली करा दिया गया है.

फिलहाल डाॅक्टर इमरजेंसी वार्ड के गेट पर जमे हुए हैं और मरीजों को अस्पताल के अंदर प्रवेश नहीं कर रहे हैं. यहां धरना दे रहे छात्र-छात्राओं का कहना है कि कोलकाता की घटना में इंसाफ नहीं देने का प्रयास हर ओर से किया जा रहा है. डॉक्टर के समर्थन में कोई वर्ग सामने नहीं आ रहा है. सरकार की ओर से भी कोई सटीक घोषणा नहीं की जा रही है. ऐसे असुरक्षित माहौल में काम करना संभव नहीं है.

हड़ताल के बाद गरीबों को अधिक दिक्कतें

एएनएमएमसीएच में हड़ताल के बाद गरीब व असहाय के लिए सबसे अधिक परेशानी सामने आयी है. उक्त अस्पताल में ज्यादातर गरीब लोग इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में अस्पताल की सेवाएं बंद करने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ सक्षम लोग प्राइवेट अस्पताल में चले जा रहे हैं. लेकिन, इनके लिए प्राइवेट अस्पताल में जाना भी संभव नहीं हो रहा है. अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी ढंग से इलाज इस अफरातफरी के माहौल में नहीं मिल रहा है.

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एएनएमएमसीएच भी नहीं है सुरक्षित कैंपस

इंटर्न छात्रा तारा ने बताया कि एएनएमएमसीएच का कैंपस भी यहां के छात्र-छात्राओं के साथ डॉक्टरों के लिए सुरक्षित नहीं है. इसके चलते हर वक्त डर बना हुआ रहता है. उन्होंने कहा कि हॉस्टल की बाउंड्री टूटी होने के चलते शराब पीकर लोग दूसरे तल्ले तक पहुंच जाते हैं. उन्होंने कहा कि यहां के प्राचार्य, अधीक्षक व डीएम से मिल कर सुरक्षा की मांग कर चुकी हूं. लेकिन, इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. शायद यहां भी किसी बड़ी घटना का इंतजार किया जा रहा है. गार्ड बढ़ाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है.

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