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Gaya News : 67 साल के चुनावी इतिहास में पहली बार इमामगंज से महिला विधायक

Gaya News : इमामगंज विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1957 से अस्तित्व में आया. तब से अब तक इस सीट पर पुरुष उम्मीदवार ही लगातार विजयी होते रहे. इस रिकॉर्ड को इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में एनडीए समर्थित हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर की उम्मीदवार ने तोड़ा है.

इमामगंज. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1957 से अस्तित्व में आया. तब से अब तक इस सीट पर पुरुष उम्मीदवार ही लगातार विजयी होते रहे. इस रिकॉर्ड को इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में एनडीए समर्थित हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर की उम्मीदवार ने तोड़ा है. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से पहली महिला दीपा मांझी हैं, जो विधायक बन कर इमामगंज विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगी. इधर दीपा मांझी की जीत हासिल करने पर एनडीए कार्यकर्ता में जोश देखा जा रहा है. हालांकि जिस प्रकार से जीतन राम मांझी ने 2015 व 2020 में इमामगंज में हुए चुनाव में जीत दर्ज की थी, उसके अनुरूप दीपा ने जीत दर्ज नहीं की है. 2015 में जीतन राम मांझी लगभग 30 हजार मतों से जीते थे. वहीं, 2020 में लगभग 17 हजार मतों से विजयी हुए थे. हालांकि, परंपरागत सीट को बचाने में दीपा कामयाब जरूर हो गयीं.

इन मुद्दों पर मतदाताओं ने जताया भरोसा

यहां की चुनावी सभा में जीतन राम मांझी व डॉ संतोष कुमार सुमन ने गया-डाल्टेनगंज वाया इमामगंज, डुमरिया बांकेबाजार होते हुए नयी रेलवे लाइन के लिए केंद्र सरकार के 426 करोड़ रुपये देने. एक टेक्नोलॉजी सेंटर इमामगंज में बनाने, बड़ा अस्पताल, कॉलेज, सड़क, पुल व इमामगंज को जिला बनाने आदि की बातें कही थीं. इस पर मतदाताओं ने विश्वास जताते हुए दीपा मांझी को वोट देकर विजयी बनाया.त्रिकोणीय मुकाबले के कारण कम मार्जिन से मिली जीत

इमामगंज उपचुनाव में तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने दमखम के साथ कैंपेनिंग की. इस बार चुनावी मैदान में एआइएमआइएम के उम्मीदवार भी मैदान में खड़े थे. ये दो पार्टियां जन सुराज एवं एआइएमआइएम के उम्मीदवारों ने मतदाताओं को अपनी ओर खूब आकर्षित किया. इसके कारण वोटों का बिखराव हुआ. इसके कारण दीपा मांझी 5945 मतों से विजयी बनी.

आजादी के बाद पहली बार इमामगंज में शाम छह बजे तक हुआ था चुनाव

इमामगंज विधानसभा उपचुनाव में शाम छह बजे तक हुए मतदान पूरी तरह सफल रहा. क्षेत्र में पहली बार 29 बूथों पर हुए इस सफल मतदान से प्रशासन भी काफी उत्साहित है. वही शांतिपूर्वक मतदान हो जाने से मतदाताओं का भी आत्मबल बढ़ा है. पहले जब-जब चुनाव हुए नक्सलियों के भय से अतिसंवेदनशील बूथों पर तीन बजे और संवेदनशील बूथों पर चार बजे तक ही वोट हुआ करते थे. लेकिन अब बदलते माहौल में जिला प्रशासन ने दर्जनों बूथों पर शाम छह बजे तक वोटिंग करा कर एक मिसाल पेश की.

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