गया. सीयूएसबी के विधि एवं प्रशासन स्कूल (एसएलजी) के अंतर्गत कार्यरत विधिक सहायता क्लिनिक ने पहली मध्यस्थता प्रतियोगिता, घरेलू मध्यस्थता एवं मध्यस्थता अधिनियमों पर परिचर्चा का आयोजन किया. यह कार्यक्रम सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह की देखरेख में एसएलजी के डीन एवं विभागाध्यक्ष प्रो संजय प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा आयोजित किया गया. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि विधिक सहायता क्लिनिक के अंतर्गत स्थापित मध्यस्थता प्रकोष्ठ ने शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देने पर केंद्रित मध्यस्थता प्रतियोगिता का आयोजन किया. कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत भाषण में प्रो एसपी श्रीवास्तव ने समकालीन समाज में मध्यस्थता के बढ़ते महत्व और संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया. लीगल एड क्लिनिक के समन्वयक डॉ सुरेंद्र कुमार ने राज्य स्तरीय मध्यस्थता की महती आवश्यकता पर प्रकाश डाला. सह समन्वयक डॉ अनंत प्रकाश नारायण व डॉ चंदना सूबा के साथ-साथ प्रो अशोक कुमार भी उपस्थित थे. उन्होंने आयोजन में अहम भूमिका निभाई. प्रतियोगिता चार चरणों में आयोजित की गयी थी जो प्रारंभिक दौर के शुरू हुई, जिसमें 30 टीमों ने भाग लिया तथा केवल आठ टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचीं. प्रारंभिक दौर का मूल्यांकन पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं द्वारा किया गया, जबकि क्वार्टर फाइनल का निर्णय एसएलजी के संकाय सदस्यों डॉ देव नारायण सिंह, डॉ कुमारी नीतू, डॉ पल्लवी सिंह तथा डॉ अनुराग अग्रवाल द्वारा किया गया. अंत में चार टीमें सेमीफाइनल में पहुंचीं, जिसके बाद फाइनल राउंड हुआ. इसमें प्रतिभागियों ने अपने कौशल और समर्पण का प्रदर्शन किया. प्रतियोगिता के अंतिम राउंड के निर्णायक पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट राशिद इजहार और प्रो अशोक कुमार थे. अंततः टीम कोड 004 हंसलता रस्तोगी (वकील), अलका पांडे (क्लाइंट) तथा टीम कोड 006 आयुष प्रियदर्शी (मीडिएटर) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खिताब अपने नाम कर लिया. वहीं, उपविजेता टीम कोड 003 में स्वीटी कुमारी (ग्राहक) और निम्मी राज (वकील) शामिल थे.
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