Gaya News: गया नगर निगम के कचरा प्लांट से हर दिन 125 टन आरडीएफ (रिफ्यूज डेरिव्ड फ्यूल ) सीमेंट फैक्ट्री को भेजा जा रहा है. यह आंकड़ा स्वस्थ जीवन के लिए बहुत ही चिंताजनक है. आरडीएफ में पॉलीथिन की थैली, रिसाइकिल नहीं होने वाला प्लास्टिक आदि शामिल रहता है. हर स्तर पर ये चीजें लोगों के लिए सभी दृष्टिकोण से हानिकारक ही मानी जाती हैं. शहर से इकट्ठा होने वाले कचरे में कागज, पुट्ठा, प्लास्टिक, पन्नी आदि को आरडीएफ माना जाता है. इसे रिसाइकिल कर दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता है. फिलहाल इस आरडीएफ को सीमेंट फैक्ट्री में भेजा जा रहा है.
नगर निगम के कचरा प्लांट से हर दिन 125 टन आरडीएफ भेजा जाता है सीमेंट फैक्ट्री
आरडीएफ कचरा केवल जलाने के काम में आता है. गया नगर निगम के कचरा प्लांट से हर दिन 125 टन आरडीएफ सीमेंट फैक्ट्री भेजा जाता है. आरडीएफ को कोयले के विकल्प के तौर पर काम में लाया जाता है. इसके अलावा कचरे में मिलने वाली अन्य सामग्री का इस्तेमाल यहां गिला कचरा मिला कर जैविक खाद तैयार किया जाता है. बायोडिग्रेडेबल सामग्री के साथ-साथ प्लास्टिक भी शामिल है. कांच और धातु जैसी गैर-दहनशील सामग्री को हटा दिया जाता है और फिर अपशिष्ट सामग्री को काट दिया जाता है.
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हर दिन 400 से 500 टन कचरा निकलता है, इसमें 40 से 50 परसेंट आरडीएफ
गया शहर से हर दिन 400 से 500 टन कचरा निकलता है, इसमें 40 से 50 परसेंट आरडीएफ की मात्रा होती है. यह आंकड़ा बहुत ही खराब बताया जाता है. एक टन कचरा में 15 से 20 प्रतिशत आरडीएफ आने पर शहर को सफाई के दृष्टिकोण में औसत माना जाता है. एक टन कचरा में जीरो परसेंट आरडीएफ आने पर आइडियल शहर माना जाता है.
लोगों के सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं
कचरे में आरडीएफ की मात्रा अधिक आना बहुत ही चिंताजनक है. इसके लिए लोगों को सहयोग करना होगा. लोगों के सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं है. कचरे से जीरो परसेंट आरडीएफ आने के बाद ही आइडियल शहर के श्रेणी में आ सकते हैं. – मोनू कुमार, स्वच्छता पदाधिकारी, नगर निगम गया