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स्ट्रेचर व बेड के लिए बहाना पड़ रहा पसीना, ANMMCH में अव्यवस्था के बीच हो रहा हीट वेव पीड़ित मरीजों का इलाज

एएनएमएमसीएच में भीषण गर्मी से परेशान मरीज इलाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं. परिजन इमरजेंसी वार्ड के बाहर कुर्सी पर बैठकर मरीज को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

गया में दो दिनों से हीट वेव से पीड़ित मरीजों के आने का सिलसिला ANMMCH में नहीं रुक रहा है. हालांकि, यहां की व्यवस्था को देख कर साफ लग रहा है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से किसी तरह की विशेष तैयारी मरीजों के लिए नहीं की गयी है. हर तरह का दावा पूरी तौर से फेल ही दिख रहा था. सोमवार की देर रात तक मरीजों का तांता लगा रहा. आइस पैक भी बहुत देर में उपलब्ध कराया गया.

इतना ही नहीं मरीजों को एंबुलेंस से उतारने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिल रहा था. गोद, कुर्सी आदि का सहारा लेकर परिजन मरीजों को इमरजेंसी वार्ड के अंदर ले गये, तो वहां पर बेड के लिए पसीना बहाना पड़ा. सब कुछ मिलने के बाद यहां इलाज के डॉ को बुलाने व अन्य इंतजाम के लिए हेल्थ मैनेजर को खोजने में आधा घंटा से अधिक समय गुजर जा रहा है. यह हाल सुबह से लेकर रात तक मरीज व परिजनों का रह रहा है.

अस्पताल पहुंचते-पहुंचते ही कई लोगों ने दम तोड़ दिया. इनका कोई रिकॉर्ड अस्पताल में पास नहीं होता है. सिर्फ यहां इसीजी करके उन्हें मृत घोषित कर शव परिजनों को सौंप दिया जा रहा है. इतना ही नहीं इमरजेंसी में भी कई मरीज की मौत इलाज के दौरान हो गयी. उसका भी हीट वेव के आंकड़ा से अलग ही रह रहा है. हीट वेव में जिन मरीजों को भेजा जा रहा है, उनकी मौत होने पर ही सार्वजनिक किया जा रहा है.

देर से मिल रही अधीक्षक को सूचना

अस्पताल अधीक्षक डॉ विनोद शंकर सिंह को इमरजेंसी वार्ड की वस्तुस्थिति की तुरंत जानकारी कर्मचारियों की ओर से नहीं दी जा रही है. मीडिया से ही सूचना मिलने पर अधीक्षक इमरजेंसी वार्ड में सोमवार की देर रात करीब साढ़े 10 बजे बर्फ की सिल्ली मरीजों के लिए मंगवाया गया. इतना ही नहीं अस्पताल पहुंचे गुरुआ विधायक विनय कुमार यादव को भी इमरजेंसी वार्ड की स्थिति ने काफी विचलित देखा गया.

हालांकि, किसी कर्मचारी को मरीज व परिजनों की परेशानी से कोई मतलब नहीं था. आउटसोर्सिंग के कर्मचारी मरीजों की सेवा में लगे दिखे. अधीक्षक ने कहा कि मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में हीट वेव क्लियर होने के बाद तुरंत स्पेशल वार्ड में भेजने का निर्देश है. इसमें देरी नहीं होनी चाहिए. अस्पताल में हर तरह की व्यवस्था पहले से की गयी है.

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