बोधगया. अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव के तीसरे दिन लोक संगीत की पहचान बनीं मैथिली ठाकुर की प्रस्तुति को सुनने के लिए कालचक्र मैदान में भीड़ उमड़ पड़ी. प्रशासन को भीड़ से निबटने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी. मैथिली ठाकुर का संगीत सुनने के लिए लोग शाम को ही कालचक्र मैदान पहुंच चुके थे. उन्होंने बिहार की लोक संस्कृति और मिट्टी की मिठास को दुनिया तक पहुंचाया. उन्होंने बोधगया की पावन भूमि को नमन करते हुए सुरमई स्वर में मेरी झोपड़ी के भाग्य आज खुल जायेंगे…बजा दो प्रेम की सरगम मेरे सरकार आये हैं…..ए राजा जी एकरे त रहल जरूरत मुहूरत खूबसूरत हो… छाप तिलक सब छीनी रे मो से नयना मिलाईके…आज बिराज होरी रे रसिया होरी रे रसिया बलजोरी रे रसिया…..पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. अल्पना डांस ग्रुप द्वारा शिव आराधना पर नृत्य की प्रस्तुति हुई. गोपाल सिंह ने श्याम झूले हनुमंत झूले शंकर त्रिपुरारि गीत पर लोगों को झुमाया. वहीं राजन सीजुआर की ठुमरी आजा सांवरिया आजा रे….ने लोगों को रोमांचित किया. कंबोडिया और श्रीलंकाई समूह ने अपने देश की संस्कृति पर नृत्य की प्रस्तुति दी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है