Lok Sabha Elections: पटना. हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (हम) के संस्थापक व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने गृह जनपद गया संसदीय सीट से एक बार फिर मैदान में हैं. वो इससे पहले तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं और जीत का स्वाद अब तक नहीं चखा है. चौथी बार चुनाव मैदान में उतरे जीतनराम मांझी के सामने मोक्षनगरी गया में अपनी नैया को पार लगाने की चुनौती है. इसी जीत हार पर जीतनराम मांझी का राजनीतिक भविष्य टिका है. कभी माओवादी हिंसा की वजह से चर्चित रही गया लोकसभा सीट की पहचान अब आईआईएम से है. पिछले 20 वर्षों में हालात बदल चुके हैं. दोनों मुख्य प्रत्याशी गया के हैं, बावजूद इसके चुनाव में रंग नहीं दिख रहा है.
44 साल से बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं माझी
6 अक्तूबर, 1944 को गया जिले के खेजरसराय के महकार गांव में जन्मे जीतन राम मांझी बेशक तीन बार गया संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं, लेकिन पिछले 44 साल से बिहार की राजनीति में वो सक्रिय हैं. 1980 में वे पहली बार कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर विधायक चुने गये. करीब 80 वर्ष के जीतनराम मांझी ने श्रीकृष्ण सिंह से लेकर नीतीश कुमार तक के मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल देखा है.
हर दल में रह चुके हैं माझी
महादलित मुसहर समाज के जीतन राम ने स्नातक तक पढ़ाई की और नौकरी भी की. मांझी अपने राजनीतिक कैरियर में करीब-करीब हर दल में रह चुके हैं. कांग्रेस ने रहकर वो विधायक बने तो जदयू में रहकर बिहार के मुख्यमंत्री बने. कभी जगन्नाथ मिश्रा के करीब रहे तो कभी नीतीश कुमार के विश्वासपात्र बने. जीतनराम माझी समय समय पर अपनी राजनीतिक वफादारियां बदली हैं. आठ बार उन्होंने अपने राजनीतिक पाले को बदला है. 1991 में पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर, दूसरा 2014 में जनता दल यू के टिकट पर तीसरा 2019 में महागठबंधन की तरफ से लड़ा और तीनों ही हारे.
जानिये कौन हैं सर्वजीत
जीतनराम मांझी के सामने हैं, 1975 में जन्मे कुमार सर्वजीत. उन्हें राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू यादव ने मांझी के सामने उतारा है. सर्वजीत के पिता दिवंगत राजेश कुमार 1992 में गया से सांसद रह चुके थे, वे तीन बार बोधगया सीट से विधायक भी रहे. वर्ष 2005 में पिता की हत्या के बाद सर्वजीत ने राजनीति में कदम रखा. लोकजनशक्ति पार्टी ने उपचुनाव में उन्हें टिकट दिया और वे पहली बार विधायक बने. सर्वजीत ने बीआईटी मेसरा से बीटेक किया है और कुछ दिनों तक एसआईटी रांची में प्रोफेसर भी रहे. वे गया जिले के ही हैं.
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कांग्रेस-भाजपा का दबदबा
गया सुरक्षित सीट पर अब तक 16 आम चुनाव हुए हैं. इसमें 5 बार कांग्रेस, 4 बार भाजपा और 3 बार जनता दल ने चुनाव जीता है. वहीं, 1-1 बार जनसंघ, भारतीय लोकदल, राष्ट्रीय जनता दल और जदयू ने बाजी मारी है. इस सीट पर पहली बार चुनाव वर्ष 1957 में हुआ था. जहां एनडीए प्रत्याशी जीतन राम मांझी को प्रधानमंत्री मोदी पर विश्वास है, वहीं महागठबंधन प्रत्याशी कुमार सर्वजीत का कहना है कि उनका महागठबंधन बिहार को समझता है.