गया. नगर निगम की ओर से एक व्यक्ति की निजी जमीन में नाला बनाने का मामला सामने आया है. अंचल से हुई जांच में उस जमीन को निजी बताया गया है. घटना वार्ड नंबर चार के छोटकी नवादा की है. यहां पर नाला बनाने के लिए निगम से कनीय अभियंता के एस्टिमेट पर टेंडर निकाल कर काम को एक एजेंसी को सौंपा गया था. जमीन के दावेदार ने निजी जमीन में नाला बनाने की लिखित शिकायत नगर आयुक्त से की. इसके बाद नगर आयुक्त ने जमीन की जांच के लिए नगर सीओ को पत्र दिया. नगर सीओ ने नगर आयुक्त को रैयती जमीन होने की रिपोर्ट सौंप दी है. इसके बाद अब नगर आयुक्त अभिलाषा शर्मा ने इस संबंध में कनीय व सहायक अभियंता से स्पष्टीकरण मांगा है. नगर आयुक्त ने कहा है कि सरकार की ओर से किसी की जमीन पर किसी तरह के निर्माण कराने से पहले अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना आवश्यक है. शिकायत के अनुसार रैयती जमीन में नाला बना दिया गया है. किस स्थिति में रैयती जमीन पर नाला बनाया गया इसकी रिपोर्ट दो दिनों के अंदर दें. वार्ड पार्षद ने नगर आयुक्त को पत्र देकर कहा था कि नाले का काम बारिश से पहले पूरा करा लिया जाये. ऐसा नहीं करने पर धरना देंगे. इसके बाद निगम की ओर से टीम जांच के लिए गयी. बात नहीं बनने पर मामला सीओ तक पहुंच गया. अब जांच रिपोर्ट आने के बाद तरह-तरह की सफाई दी जा रही है. इंजीनियर अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए हर कोशिश में जुट गये हैं. निगम के कनीय अभियंता सुबोध सिंह ने बताया कि निगम की ओर से पहले के ढांचे को देखते हुए ही नाला बनाया गया है. नाला बनाने का काम साढ़े सात सौ फुट हो रहा था. नाला 700 फुट बनकर तैयार होने पर आगे जैसे ही काम बढ़ाया गया, जमीन के दावेदार ने नगर आयुक्त के पास शिकायत की. उन्होंने बताया कि 1992 के केबाला में नाला बनाये जा रहे जगह पर पिंड दिखाया गया है. अब 2023 के केबाला में जमीन काे रैयती बता दिया गया है. दोनों ही केबाला की जांच के लिए संबंधित विभाग को भेजा जा रहा है.
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