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गोपालगंज में दो पक्षों के बीच विवादः जवानी में हुआ था केस, मरने के बाद आया फैसला…

बिहार के गोपालगंज में इल दिनों कोर्ट के दो फैसले की चर्चा हर जगह हो रही है. एक जवानी में हुए केस का फैसला मरने के बाद आया. वहीं एक दूसरा केस है, जिसमें जवानी में केस हुआ था बुढ़ापा में उसकी सजा मिली है.

सत्येंद्र पांडेय, गोपालगंज

कानून के जटिलताओं का एक और घटना सामने आया. जवानी में आपसी झड़प के केस में बुढ़ापे में यानी 36 वर्षों के कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद चार आरोपितों को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पांच योगेश कुमार गोयल की कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया. कोर्ट को कोई साक्ष्य सजा देने लायक नहीं मिला. कोर्ट से बरी होने के बाद आरोपितों में यह मलाल दिख रहा था कि कोर्ट में तारीख पर तारीख व कानूनी जटिल प्रक्रियाओं के कारण उन्हें 36 वर्ष तक कोर्ट का चक्कर लगाने की बड़ी सजा मिल चुकी है. इस दौरान उन्हें शारीरिक और आर्थिक परेशानी उठानी पड़ी. जबकि पीड़ित पक्ष को भी इस मुकदमें में पछतावा के शिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगा है.

जमीन के विवाद में 1987 में दर्ज कराया था कांड

भोरे थाने के हुसेपुर टोला भगवानपुर के जय किशन भर ने वर्ष 1987 में मारपीट और चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराई थी.उनका आरोप था कि उनका भाई जयश्री भर भगवानपुर टोला में अपने खेत की जुताई करा रहे थे. इसी दौरान मीरगंज थाने के मदरवानी गांव के रामचंद्र चौधरी, शिवजी चौधरी, मैनेजर चौधरी, रमाकांत चौधरी रमाशंकर चौधरी और शंकर यादव लाठी डंडा से लैस होकर आये और मारने पड़ गए. भाई भाग कर दरवाजे पर आया तो सभी आरोपी भी दरवाजे पर आकर मारपीट करने लगे.जब वे बचाने गये तो उनको भी मारपीट कर घायल कर दिया गया था. इसी मामले को लेकर उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

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कोर्ट का चक्कर काटते-काटते दो आरोपितों की हो गयी मौत

चोरी व झड़प के इसकांड की सुनवाई पिछले 36 वर्ष से कोर्ट में चल रही थी. इस बीच कोर्ट में तारीख पर तारीख के चक्कर में दो आरोपितों रामाधार चौधरी और रमाशंकर चौधरी की मृत्यु भी हो गयीृ. शेष बचे चार आरोपितों शिवजी चौधरी, मैनेजर चौधरी, रमाकांत चौधरी और शंकर यादव के खिलाफ ट्रायल चल रहा था. कोर्ट में पुलिस पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं करा सकी. जिससे सोमवार को बरी कर दिया.

जवानी में केस, बुढ़ापे में मिली दो साल की सजा

ऐसा ही एक और मामला कुछ दिन पहले बिहार के गोपालगंज से सामने आया था. हथियार के साथ जवानी में पकड़े गए व्यक्ति को बुढ़ापे में कोर्ट ने दो वर्ष की सजा सुनाई है. उम्र भर इंसाफ के लिए कोर्ट का चक्कर लगाते रहे. बुधवार को गोपालगंज के एसीजेएम चार शेफाली नारायण की कोर्ट ने आर्म्स एक्ट के 25 वर्ष पुराने मामले में आरोपित को दोषी पाते हुए दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट में कानूनी प्रक्रिया पूरा करने के बाद लंबा सुनवाई के बाद फैसला आया. 19 जुलाई 1998 को महम्दपुर थाने की पुलिस महम्मदपुर चौक पर कार्रवाई करते हुए एक कमांडर जीप पर सवार तीन लोगों को आर्म्स के साथ गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार लोगों में नवादा गांव के पारस प्रसाद उर्फ फुलेश्वर प्रसाद, नगर थाने के कैथवलिया गांव के गौतम साह तथा यादोपुर थाने के ओलीपुर गांव के राम प्रवेश सिंह शामिल थे.

राम प्रवेश सिंह के पास से देसी पिस्टल और एक जिंदा कारतूस बरामद हुआ था. मामले में कांड के अनुसंधान कर्ता की तरफ से आरोप पत्र समर्पित किए जाने के बाद कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. अभियोजन पक्ष से सहायक अभियोजन पदाधिकारी अनूप कुमार त्रिपाठी तथा बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने राम प्रवेश सिंह को दोषी पाते हुए सजा सुनाई. सजा आते ही राम प्रवेश सिंह की आंखों से आंसू टपकने लगा.

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