गोपालगंज. बिहार राज्य फसल सहायता योजना के तहत जिलेभर की 10 पंचायतों को योग्य पाया गया है. इनमें से कुचायकोट प्रखंड के दो पंचायत, मटहिनिया कला और सिसवा को रेड फ्लैग सूची में डाला गया है. इन पंचायतों में आवेदित फसल बोआई क्षेत्र का रकबा संबंधित पंचायत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल से अधिक पाया गया है, जिसको लेकर पुनः सत्यापन की आवश्यकता जतायी गयी. इस सत्यापन का कार्य किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक के माध्यम से किया जायेगा. जिलास्तरीय समन्वय समिति (डीएलसीसी) की बैठक करते हुए डीएम प्रशांत कुमार सी एच ने राज्य फसल सहायता योजना की गहन समीक्षा की. डीएम ने इस बैठक में गोपालगंज जिले में वर्ष 2023 के तहत फसल सहायता योजना की क्रियान्वयन प्रक्रिया पर चर्चा की. बैठक में बताया गया कि कुचायकोट की दो पंचायतों के अतिरिक्त, अन्य 8 पंचायतों के किसानों का सत्यापन पंचायत स्तरीय और प्रखंड स्तरीय किया जायेगा. इन पंचायतों के किसानों द्वारा बोयी गयी फसलों का सत्यापन किया जायेगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बोआई क्षेत्र पंचायत के भौगोलिक क्षेत्रफल के अनुसार है. सत्यापित आंकड़ों को जिला स्तरीय समन्वय समिति से अनुमोदित कर पोर्टल पर अपलोड किया जायेगा. बैठक में यह भी बताया गया कि बिहार राज्य में प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल उत्पादन में होने वाले नुकसान के लिए राज्य सरकार ने 70% इंडेमनिटी स्तर का प्रावधान किया है. इसके तहत, यदि किसी फसल की उपज में 20% या उससे अधिक ह्रास होता है, तो किसानों को सहायता राशि प्रदान की जाती है. गोपालगंज जिले में इस योजना के तहत अगहनी धान, भदई मकई और अगहनी गोभी को आच्छादित फसल के रूप में चिह्नित किया गया है. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यदि फसल की उपज दर में 20% से अधिक ह्रास होता है, तो किसानों को प्रति हेक्टेयर 10,000 रुपये की दर से सहायता राशि दी जायेगी, जो अधिकतम दो हेक्टेयर तक होगी. इसके अलावा, यदि ह्रास 20% से कम है, तो सहायता राशि 7,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से दी जायेगी. बैठक में जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, डीडीएम नाबार्ड और अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे. इस बैठक के माध्यम से योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये, जो किसानों के लिए फसल सहायता में सहायक सिद्ध होंगे.
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