गोपालगंज. आंवला की बागवानी से ख्वाजेपुर के किसानों की आर्थिक समृद्धि लौटेगी. किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उद्यान विभाग की ओर से चलायी जा रही गांव की बागवानी, हमारे गौरव की कहानी के तहत इस वर्ष के लिए सदर प्रखंड के ख्वाजेपुर गांव में किसानों का एक क्लस्टर बनाया गया है. इसमें 25 किसानों को शामिल कर 25 एकड़ में आंवला की बागवानी के लिए चुना गया है. यहां इस बार आंवले की बागवानी कर किसान अपनी आर्थिक समृद्धि को लौटाने के लिए प्रयासरत है. आंवला की बागवानी करने वाले किसान को एक एकड़ में एक लाख का अनुदान भी देगा. किसान जब अपने खेत में आंवला का पौधा लगा लेगा, तो उसका भौतिक सत्यापन किया जायेगा. उसके साथ ही अनुदान का 65 हजार रुपये उसके खाते में चला जायेगा. दूसरे वर्ष पुन: पौधों की सत्यापन किया जायेगा. उसके बाद 35 हजार की दूसरी किस्त किसान के खाते में चली जायेगी. किसान को एक रुपया भी अपने घर से बागवानी के लिए खर्च नहीं करना है. आंवले की रोपनी के बाद उसका पौधा 4 से 5 साल में फल देने लगता है. 8 से 9 साल के बाद एक पेड़ हर साल औसतन एक क्विंटल फल देता है. प्रति किलो करीब 25 से 30 रुपये में बिकता है. यानी हर साल एक पेड़ से किसान को 2500 से 3000 रुपये की कमाई होती है. एक एकड़ में करीब 200 पौधे लग सकते हैं. इस तरह आप साल भर में एक एकड़ से ही पांच से छह लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं. वहीं, एक बार आंवले के पौधे लगाकर लंबे समय तक उपज ले सकते हैं. आंवले की खेती साथ इंटारक्रोपिंग (अन्य फसल) भी की जा सकती है. आंवले की खेती सर्दी एवं गर्मी दोनों मौसम में होती है. पूर्ण विकसित आंवले का पेड़ 0 से 46 डिग्री तापमान तक सहन करने की क्षमता रखता है. यानी गर्म वातावरण, पुष्प कलिकाओं के निकलने में सहायक होता है. जुलाई से अगस्त माह में अधिक नमी के कारण छोटे फलों का विकास होता है जबकि बरसात के दिनों में फल ज्यादा पेड़ से गिरते हैं इसकी वजह से नए छोटे फलों के निकलने में देरी होती है. कृषि वैज्ञानिक डाॅ एसके सिंह बताते हैं कि आंवले की खेती बलुई मिट्टी से लेकर चिकनी मिट्टी तक में सफलतापूर्वक की जा सकती है. आंवले की खेती के लिए खुदाई 10 x 10 फुट या 10 फुट x 15 फुट पर की जाती है. पौधा लगाने के लिए 1 घन मीटर आकार के गड्ढे खोद लेना चाहिए. उसमें पौधा बेहतर होगा.
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